सार
स्वास्थ्य सेवाओं की चौंकाने वाली यह हकीकत पंजाब के पठानकोट की है। 6 साल के बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर बेबस पिता एक हॉस्पिटल से दूसरे और दूसरे से तीसरे तक भागता रहा, लेकिन कहीं डॉक्टर नहीं था, तो किसी ने चेक तक नहीं किया। पिता का दर्द है कि अगर समय पर बेटे को ऑक्सीजन मिल जाती, तो उसे बचाया जा सकता था। इस मामले की शिकायत पीएमओ में ट्वीट के जरिये की गई है।
पठानकोट, पंजाब. कोरोना संक्रमण के बीच मेडिकल स्टाफ जिस शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभा रहा है, उसने एक मिसाल पेश की है। लेकिन यह घटना बेहद शर्मनाक है। स्वास्थ्य सेवाओं की चौंकाने वाली यह हकीकत पंजाब के पठानकोट की है। 6 साल के बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर बेबस पिता एक हॉस्पिटल से दूसरे और दूसरे से तीसरे तक भागता रहा, लेकिन कहीं डॉक्टर नहीं था, तो किसी ने चेक तक नहीं किया। पिता का दर्द है कि अगर समय पर बेटे को ऑक्सीजन मिल जाती, तो उसे बचाया जा सकता था।
अस्पतालों से भगा दिया गया..
सुजानपुर के 6 साल के कृष्णा के पिता उपेंद्र झा ने बताया कि अगर उनके बेटे को समय पर ऑक्सीजन मिल जाती, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। बताते हैं कि मंगलवार सुबह करीब 4 बजे कृष्णा को सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। उसके पिता फौरन कार में उसे लेकर सुजानपुर और फिर एम्बुलेंस से पठानकोट के अस्पतालों में भटकते रहे, लेकिन कहां उसे इलाज नहीं मिला। करीब डेढ़ घंटे यहां से वहां और वहां से यहां भटकते रहने के दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया। पिता का कहना है कि सिविल अस्पताल में सांस नली के ब्लॉकेज खोलने के लिए मेडिकल कोई संसाधन नहीं था। ऑक्सीजन प्रेशर मास्क तक नहीं मिला। पठानकोट के दो प्राइवेट अस्पतालों में भी बच्चे को इलाज नहीं मिला। एक में गेट से ही डॉक्टर न होने की बात कहकर लौटा दिया। वहीं, दूसरे में तो डॉक्टर देखने तक नहीं आए।
मुंह से भरते रहे सांसें..
बच्चे के पिता की हेल्प के लिए साथ आए डॉ. धीरज ने बताया कि सुजानपुर सीएचसी की इमरजेंसी में कोई डॉक्टर तक नहीं मिला। इसके बाद वे बच्चे को 108 एम्बुलेंस से सुबह 4.55 बजे पठानकोट के सिविल अस्पताल पहुंचे। इस दौरान वे और बच्चे के पिता मुंह से उसे सांस देते रहे। जब कहीं इलाज नहीं मिला, तो बच्चे ने दम तोड़ दिया। इस मामले की शिकायत पीएमओ और सीएम के ट्वीटर अकाउंट पर की गई है।