सार
2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में हिंदुओं की कुल आबादी का 38.5 प्रतिशत हिस्सा है। राज्य में 45 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां हिंदू मतदाताओं की संख्या अधिक है। वोट संख्या के हिसाब से देखा जाए तो पंजाब में हिंदू मतदाताओं की संख्या 83 लाख 56 हजार के आस पास है।
चंडीगढ़ : पंजाब में अगले महीने विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) होने जा रहे हैं। ऐसे में हर सियासी दल वोटर्स को लुभाने में जुटा हुआ है। लेकिन पंजाब का एक तबका ऐसा भी है जो साइलेंट रहकर पूरी बाजी ही पलटने का माद्दा रखता है। हम बात कर रहे हैं पंजाब के हिंदू वोटर्स की। यहां का हिंदू वोटर्स ज्यादा बोलता नहीं है। एक तरह से वह पंजाब में अल्पसंख्यक की तरह डर और दबाव में रहता है। इसलिए चुनाव के दिनों में भी उनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती। सच यह भी है कि हिंदू वोटर्स जिस भी पार्टी के साथ हो लिया, उसकी जीत लगभग पक्की हो जाती है।
एकजुट होकर डालते हैं वोट
मॉस कम्यूनिकेशन के विभागाध्यक्ष आशुतोष इसकी वजह यह बताते हैं कि क्योंकि हिंदू एकजुट होकर वोट डालते हैं। पंजाब की कुछ जगह को छोड़ दिया जाए, तो बाकी जगह वह आम तौर पर चुप रहते हैं। इसलिए उनके मन को भांपना आसान नहीं होता। इसकी वजह भी है, लगातार पंजाब में हिंदूओं को टारगेट किया जाता रहा है। कभी हार्डकोर सिख उन्हें निशाना बना लेते हैं। कभी धर्म के नाम पर उन्हें डराया धमकाया जाता है।
कितनी है आबादी
आशुतोष ने बताया कि ऐसा नहीं है कि पंजाब मे हिंदूओं की संख्या कम है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में हिंदुओं की कुल आबादी का 38.5 प्रतिशत हिस्सा है। राज्य में 45 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां हिंदू मतदाताओं की संख्या अधिक है। मोगा विधानसभा क्षेत्र के 1.84 लाख मतदाताओं में से करीब एक लाख शहरी हिंदू मतदाता हैं। बठिंडा में 62 फीसदी मतदाता शहरी मतदाता हैं। वोट संख्या के हिसाब से देखा जाए तो पंजाब में हिंदू मतदाताओं की संख्या 83 लाख 56 हजार के आस पास है।
हिंदू वोटर्स पर पहली बार फोकस
इस बार पंजाब में जिस तरह से भाजपा (BJP) लगातार सक्रिय है। इससे कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी (AAP) ने हिंदू मतदाताओं को रिझाने के लिए महीनों पहले अपने प्रयास शुरू कर दिए है। कांग्रेस (congress) ने पहली बार ब्राह्मण कल्याण बोर्ड और अग्रवाल कल्याण बोर्ड का गठन किया। महाराजा अग्रसेन की जीवनी को पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के सातवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। कांग्रेस सरकार ने हर जिले में महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा भी लगाई है। पहली बार कांग्रेस सरकार का ध्यान फगवाड़ा जिले के ग्राम खाटी में भगवान परशुराम के मंदिर की ओर गया। सरकार ने न केवल मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए राशि जारी किया है, बल्कि भगवान परशुराम के जीवन और दर्शन का अध्ययन करने के लिए एक शोध केंद्र स्थापित करने की परियोजना पर भी काम शुरू कर दिया है।
नेताओं का टेंपल रन भी जारी
इसके अलावा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने उत्तराखंड के केदारनाथ धाम और हिमाचल के बगलामुखी और चिंतपूर्णी धाम सहित अन्य मंदिरों का दौरा भी लगातार कर रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल को भी राजस्थान के चिंतपूर्णी धाम और सालासर बालाजी धाम के अलावा मंदिरों में जाते देखा गया। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) भी जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर में श्रद्धांजलि देने पहुंचे। आम आदमी पार्टी भी हिंदू वोटर्स को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पहली बार शिरोमणि अकाली दल को भी हिंदू वोटर्स की जरूरत महसूस हो रही है। क्योंकि अभी से पहले तो भाजपा के साथ अकाली दल गठबंधन में रहता था। इसलिए हिंदू वोटर्स भाजपा की वजह से मिल ही जाते थे। अब पहली बार अकाली दल के रणनीतिकारों का ध्यान हिंदू वोटर्स की ओर गया है। चुनाव के लिए हिंदू बहुल सीटों पर हिंदू चेहरों की तलाश की जा रही है।
एकजुट होकर डालते हैं वोट
हिंदू मतदाता हमेशा एकजुट होकर एक पार्टी को वोट देते हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक सिर्फ 14 फीसदी मतदाता ही फिसलते हैं। 2007 में 13.5 फीसदी हिंदू मतदाताओं ने कांग्रेस से दूरी बना ली थी। नतीजतन, कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। 2012 के चुनाव में भी यही स्थिति थी। दोनों बार शिअद-भाजपा गठबंधन की सरकार बनी। इसके बाद, 2017 के चुनावों में, 10.5 प्रतिशत हिंदू मतदाता शिअद-भाजपा गठबंधन से अलग हो गए। नतीजतन, इसके विधायकों की संख्या घटकर 18 रह गई और कांग्रेस सत्ता में आई।
इन सीटों पर हिंदू मतदाता निर्णायक
42 से 46 सीटों पर हिंदू वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इसमें जालंधर की चारो सीट पर 60 प्रतिशत, लुधियाना 45, खन्ना 50 मानसा 45 पठानकोट 70 प्रतिशत बठिंडा 35 प्रतिशत,अमृतसर जिले में 38 प्रतिशत हिंदू है। होशियारपुर 60 प्रतिशत, नवाशहर में 63 प्रतिशत मोहाली में 45 प्रतिशत, रोपड़ में 45 प्रतिशत, संगरूर में 40 प्रतिशत, पटियाला में 48 प्रतिशत, गुरदासपुर ओर फिरोजपुर में 50 प्रतिशत हिंदू मतदाता है।
बीजेपी के प्रति देखने को मिल रहा हिंदू वोटर्स रूझान
इस बार पंजाब के वोटर्स का रूझान बीजेपी की ओर जाता दिखाई दे रहा है। यदि यह रूझान वोटों में तब्दील होता है तो इससे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को नुकसान हो सकता है। कांग्रेस के प्रति पंजाब के हिंदू वोटर्स का सॉफ्ट कार्नर रहता है, लेकिन अब भाजपा सीधे चुनाव मैदान में हैं,इसलिए हिंदू वोटर्स के पास विकल्प है। भाजपा को राममंदिर धारा 370 का भी यहां लाभ मिलता नजर आ रहा है। इससे हिंदू वोटर्स भाजपा के साथ जुड़ रहा है।
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