सार

राघव चड्ढा के प्रति यह गुस्सा एक दिन में नहीं पनपा। लंबे समय से पंजाब की स्थानीय इकाई के सदस्य गुस्से में तो थें, लेकिन व्यक्त करने से बच रहे थे। राघव चड्ढा के किसानों के बारे में दिए गए बयान ने गुस्से को और ज्यादा भड़का दिया। 
 

चंडीगढ़ : फिरोजपुर देहात की सीट के उम्मीदवार आशु बांगड़ की बगावत के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) की पंजाब इकाई में राघव चड्ढा के प्रति रोष अब सार्वजनिक हो गया है। हालांकि राघव चड्ढा (Raghav Chadha) के प्रति यह गुस्सा एक दिन में नहीं पनपा। लंबे समय से पंजाब की स्थानीय इकाई के सदस्य गुस्से में तो थें, लेकिन व्यक्त करने से बच रहे थे। राघव चड्ढा के किसानों के बारे में दिए गए बयान ने गुस्से को और ज्यादा भड़का दिया। 

किसानों पर बयान से बढ़ी मुश्किलें
राघव चड्ढा ने कहा था, चुनाव लड़ने वाले किसान जत्थेबंदियां बीजेपी की दलाल है। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल पर बड़ा आरोप लगाते हुए उन्हें बीजेपी का एजेंट बता दिया था। इस बयान का पंजाब में व्यापक विरोध हुआ। खासतौर पर किसानों ने इस बयान की कड़ी निंदा की। अब स्थिति यह हैं कि जहां जहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रचार के लिए जा रहे हैं, वहां वहां किसान उन से यह सवाल ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि विरोध भी कर रहे हैं। आशु बांगड़ ने भी अपने त्यागपत्र में इस तथ्य को स्वीकार किया। 

चड्ढा का बयान यूं पड़ सकता है भारी 
किसानों की सबसे ज्यादा पकड़ मालवा में हैं। यही पर आम आदमी पार्टी भी सबसे ज्यादा सक्रिय है। यहां से आम आदमी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 19 सीट जीती थी। इस बार भी पार्टी को यहां से खासी उम्मीद थी। किसानों के अकेले चुनाव लड़ने से पहले तक आम आदमी पार्टी यहां किसानों को स्वागत कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि किसान जत्थेबंदियों और आम आदमी पार्टी यहां मिल कर चुनाव लड़ सकती है। आम आदमी पार्टी के रणनीतिकारों को लगता था कि किसानों का यह साथ उन्हें पंजाब में पहली बार सत्ता का स्वाद चखा सकता है। लेकिन किसानों के अलग चुनाव लड़ने की घोषणा से मालवा की तस्वीर बदल रही है। जो आम आदमी पार्टी एक समय में राजेवाल को सीएम चेहरा बनाना चाहती थी, अब वह उन्हें भाजपा (BJP) का एजेंट नजर आ रहा है।

खिसक सकता है वोट
राजेवाल पर राघव के दिए गए बयान का मालवा में जबरदस्त विरोध हो रहा है। यहां का मतदाता आप कार्यकर्ता व नेताओं से इस  बयान पर सवाल कर रहा है। इस का जवाब उनके पास नहीं है। मांझा व दोआबा में आप के पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। इस तरह से यदि मालवा में किसानों का वोट आप से खिसक गया तो पार्टी भारी संकट में आ सकती है। अगर किसान जत्थेबंदियों की ओर से आम आदमी पार्टी का विरोध इसी तरह से जारी रहा तो पार्टी 2017 के परिणाम को दोहराने में विफल रह सकती है। 

7 जनवरी को जालंधर में कड़ा विरोध
जालंधर में सात जनवरी को प्रेस क्लब में पत्रकारवार्त के दौरान आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं  ने कड़ा विरोध किया था। इस दौरान हुई हाथापाई में राघव चड्ढा बाल बाल बचे थे। उन्हें बड़ी मुश्किल से मौके से निकाला गया था। विरोध करने वालों का आरोप था कि कुछ समय पहले कांग्रेस से आए रमन अरोड़ा को रकम लेकर टिकट दी गई है। जबकि वहां पर आम आदमी पार्टी के जो कार्यकर्ता काम कर रहे थें, उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। इन आरोपों के बाद आप ने अपने चार सीनियर कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर कर दिया। इसमें मोहाली से  गुरतेज सिंह पन्नू अमरगढ़ संगरूर से सतवीर सिंह शीरा , फिरोजपुर से  मोड़ा सिंह अंजान व जालंधर से  डॉ शिव दयाल मल्ली शामिल है। मोहाली में जेएलपीएल के एमडी व पूर्व अकाली नेता कुलवंत सिंह के भी टिकट का विरोध पार्टी में हो रहा है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि टिकट देने में रकम का लेनदेन हुआ है। 

कार्यकर्ताओं की बात सुनने की बजाय, उन्हें पार्टी से निकाला
आप से निकाले गए मोहाली के गुरतेज सिंह पन्नू बताया उनकी बात को सुना तक नहीं जाता। वह विरोध करते हैं तो उन्हें पार्टी से बाहर निकालने की धमकी दी जाती है। पंजाब के लोगों को सुनने की बजाय पार्टी दिल्ली से चल रही है। पार्टी उद्योगपतियों के इशारे पर काम कर रही है। रकम लेकर टिकट दिए जा रहे हैं। इसे वह कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं। उन्होंने पार्टी के लिए दिन रात काम किया है। क्या इसलिए कि किसी दूसरी पार्टी से आए हुए को टिकट दे दिया जाए। मॉसकम्यूनिकेशन विभागाध्यक्ष आशुतोष कहते हैं कि आम आदमी पार्टी एक अलग तरह की राजनीति के दावे के साथ पंजाब में आई थी। पंजाब के वह मतदाता जो बदलाव चाहते हैं, उन्होंने पार्टी का हाथ हाथ लिया है। लेकिन चुनाव आते ही आम आदमी पार्टी का नेतृत्व भी इसी तरह का व्यवहार करने लगता हैं, जैसा कि दूसरी पार्टियों में होता है। इससे आप का कार्यकर्ता निराश है। विरोध की यह भी एक बड़ी वजह है।

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