सार
प्रकाश सिंह बादल चुनाव लडे़ंगे, इस बात को और ज्यादा पुख्ता करने के लिए उन्होंने लांबी में एक कार्यालय का भी उद्धाटन कर दिया है। सीनियर बादल अकाली दल का सबसे मजबूत चेहरा हैं। यहां तक कि वह पार्टी अध्यक्ष और बेटे सुखबीर बादल पर भी भारी पड़ते हैं।
चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव हैं और शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल (94 साल) ने आखिरकार चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। वह अपनी पारंपरिक सीट लंबी से चुनाव लड़ेंगे। उनके कार्यालय का उद्घाटन आज लांबी में किया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी साफ कर दिया है कि प्रकाश सिंह बादल लांबी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
दरअसल, इस बार ज्यादा उम्र होने के कारण कयास लगाए जा रहे थे कि प्रकाश सिंह बादल शायद चुनाव ना लड़ें। लेकिन, आखिर में तय किया गया कि वह चुनाव लड़ेंगे। हालांकि पिछले कुछ दिनों से वह प्रचार कर रहे थे। इसी बीच, वह कोरोना संक्रमित भी हो गए थे। इलाज के बाद स्वस्थ होते ही उन्होंने चुनावी गतिविधियां तेज कर दी हैं। अब बादल परिवार की ओर से घोषणा कर दी गई कि प्रकाश सिंह बादल चुनाव लड़ेंगे। इसलिए अभी तक उन्हें लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे, वह सब खत्म हो गए हैं।
पार्टी के अंदर और बाहर अच्छी पकड़
बादल चुनाव लडे़ंगे इस बात को और ज्यादा पुख्ता करने के लिए उन्होंने लांबी में एक कार्यालय का भी उद्धाटन कर दिया है। सीनियर बादल अकाली दल का सबसे मजबूत चेहरा हैं। यहां तक कि वह पार्टी अध्यक्ष और बेटे सुखबीर बादल पर भी भारी पड़ते हैं। ना सिर्फ उनकी मतदाताओं पर सीधी पकड़ है, बल्कि पार्टी के अंदर भी उनकी बात को कोई नहीं टालता है। इस तरह से देखा जाए तो बादल अकाली दल के लिए दो तरह से काम करते हैं। पार्टी के अंदर भी और पार्टी के बाहर भी। यही वजह है कि ज्यादा उम्र होने के बाद भी वह एक बार फिर से चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।
तो इस कारण चुनाव में उतरे
बठिंडा के सीनियर पत्रकार हरदेव सिंह चीमा ने बताया कि बादल ने एक बार ऐलान कर दिया था कि वह अब ज्यादा सक्रिय नहीं होंगे। लेकिन, जिस तरह से पंजाब में अकाली दल की स्थिति बनी हुई है। इस वजह से बादल को फिर से चुनाव मैदान में उतरना पड़ा है। अकाली दल इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ना सिर्फ पार्टी की मतदाता पर पकड़ कमजोर है, बल्कि प्रमुख चेहरा बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर ड्रग्स तस्करी का मामला दर्ज है।
सीनियर बादल की वजह से सारे मुद्दे हो जाते हैं गौण
अकाली दल का पारंपरिक गठबंधन वाली भाजपा इस बार अलग है। अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ समझौता किया है। इन तमाम हालत में लग रहा है कि बिना सीनियर बादल के पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है। इसलिए बादल को सियासी मैदान में एक बार फिर से सक्रिय होना पड़ा। हरदेव सिंह चीमा ने यह भी बताया कि जब सीनियर बादल चुनाव मैदान में होते हैं तो पार्टी के भीतर सीएम फेस को लेकर भी कोई विवाद नहीं रहता। क्योंकि तब सब यह मान कर चलते है कि पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ही उनके सीएम फेस होंगे।
और इसलिए चाहिए अकाली दल को प्रकाश सिंह बादल...
- 1947 में बादल गांव के सरपंच बने। बाद में ब्लॉक समिति के चेयरमैन बने। 1957 में पहली बार शिरोमणि अकाली दल से चुनाव लड़े।
- 1969 में चुनाव जीत कर पंचायती राज मंत्री बने।
- 1972, 1980, 2002 में नेता विपक्ष बने। 1957 से लेकर 10 बार विधानसभा चुनाव जीते। 1992 में अकाली दल ने चुनाव का बहिष्कार किया था। इस वजह से वे विधानसभा में नहीं थे। 1997 से अभी तक लगातार लंबे समय से विधायक हैं। मोरारजी देसाई की सरकार में केंद्रीय कृषि और सिंचाई मंत्री भी रहे हैं।
- 1970 में पहली बार सीएम बने। भारत के सबसे युवा सीएम बने। 2007 से 2012 से 2017 तक सीएम रहे।
धर्म युद्ध मोर्चो में जेल में रहे
हरियाणा तब का संयुक्त पंजाब के करनाल जेल में 1975 से 1977 तक रखा गया। इसके बाद 1980 में पंजाब व पंजाबियत के नाम पर चलाए गए धर्मयुद्ध मोर्चा में इन्हें जेल में डाल दिया गया। अपनी जिंदगी के 17 साल जेल में बिताए। नेल्सन मंडेला के बाद जेल के इतिहास में सबसे ज्यादा समय रहने वाले राजनैतिक कैदी प्रकाश सिंह बादल हैं। ग्राउंड काडर और पंथ वोटर्स पर मजबूत पकड़ है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर जबरदस्त नियंत्रण। जो सिख वोटर्स को उनके पक्ष में करता है। पार्टी में सम्मानित है, सबसे बड़ा चेहरा है।