सार
बूटा सिंह मूल रुप से पंजाब के रहने वाले थे, 21 मार्च, 1934 को जालंधर जिले के मुस्तफापुर गांव में जन्मे सरदार बूटा सिंह 8 बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। इस दौरान कई अहम पदों पर रहे। वह 86 वर्ष के थे, शनिवार को उनका निधन हो गया।
जयपुर (राजस्थान). पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजस्थान से पूर्व सांसद सरदार बूटा सिंह का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। करीब तीन महीने पहले उन्हें एम्स में भर्ती करवाया गया था। वह 86 वर्ष के थे, शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
कई पदों पर रह चुके हैं सरदार बूटा सिंह
दरअसल. बूटा सिंह मूल रुप से पंजाब के रहने वाले थे, 21 मार्च, 1934 को जालंधर जिले के मुस्तफापुर गांव में जन्मे सरदार बूटा सिंह 8 बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। इस दौरान कई अहम पदों पर रहे। रेल मंत्री से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री के साथ साथ कृषि मंत्री तथा बिहार के राज्यपाल के पद पर भी रह चुके हैं।
दलितों के मसीहा कहे जाते हैं बूटा सिंह
सरदार बूटा सिंह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्हेंने कई पदों पर रहते हुए दलितों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। उनको दलितों का मसीहा भी कहा जाता था।
पीएम मोदी ने जताया दुख
बूटा सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दुख जताया। उन्होंने लिखा कि बूटा सिंह जी गरीबों के लिए काम करते थे, उन्होंने उनके कल्याण की लिए मजबूती से आवाज उठाई। वह एक अनुभवी प्रशासक थे उनके जाने से बहुत दुख है, उनके परिवार के साथ मेरी मेरी संवेदनाएं हैं।
नेहरू-गांधी परिवार के भरोसेमंद थे बूटा सिंह
बता दें कि बूटा सिंह नेहरू-गांधी परिवार के भरोसेमंद और करीबी थे। इंदिरा गांधी की अगुआई में वह उस दौरन ऐसे इकलौते राष्ट्रीय महासचिव बने थे जब1977 में जनता पार्टी चलते कांग्रेस बुरी तरह से हार गई थी । उस दौरान बूटा सिंह ने कड़ी मेहनत करके पार्टी को 1980 में फिर से एक बार सत्ता दिलाई।