सार
राजस्थान के इस गांव में रावण दहन की अनोखी परपंरा का पालन पिछले 125 साल से किया जा रहा है। पहले दो घंटे तक रावण पर फायरिंग की जाती है, गोलियां मारने आता है पूरा गांव, फिर मशाल लगा तीर फेंककर लगाते हैं आग। यह परंपरा करने से पहले रावण सेना से होता है युद्ध।
झुझुनूं (Jhunjhunu). बुधवार के दिन विजय दशमी का त्यौहार देशभर में मनाया जा रहा है। इसके चलते आपने रावण दहन की अनोखी परंपराओं के बारे में आपने सुना और पढ़ा होगा लेकिन राजस्थान में जिन तरीकों से रावण वध और दहन किए जाते हैं वे दुनिया में सबसे अनूठे हैं। राजस्थान के झुझुनूं जिले में तो एक ऐसा गांव हैं जहां पर रावण को पहले मन भर कर गोलियां मारी जाती हैं और उसके बाद रावण का दहन किया जाता है।
125 साल पुरानी परंपरा का पालन आज भी
रावण दहन की यह अनोखी परंपरा झुझुनूं के उदयपुरवाटी क्षेत्र की है। दादू दयाल समाज के लोग इस परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि रावण की सेना से पहले युद्ध किया जाता है और इस युद्ध असलाह का प्रयोग किया जाता है। 125 साल पुरानी यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है और रोचक बात ये है कि इस युद्ध में असली लाईसेंस शुदा हथियारों को प्रयोग किया जाता है। समाज के द्वारा की जा रही इस परंपरा को आसपास के गावों और कस्बों के हजारों लोग देखने आते हैं।
माटी के मटकों पर पहले हथियार चलाकर करते है लड़ाई
दरअसल जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह के समय से यह प्रथा चल रही है। महाराज की सेना में लड़ने वाले दादू पंथियों को महाराज ने सात जमात में बांटा था। 1880 में सबसे बड़ी जमात को उदयपुरवाटी में बसाया गया था। 1897 से यहां इसी तरह से दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है। बाकि छह जमात भी राजस्थान के अलग अलग जिलों में रह रही है। समाज के लोगों ने बताया कि नगर पालिका इसमें पूरा साथ देती है। माटी के मटकों को रंगा जाता है जो सैंकडों की संख्या में होते हैं। उसके बाद इन पर आंख नाक बनाए जाते हैं और फिर इन पर गोलियां बरसाई जाती हैं। ये रावण की सेना के प्रतीक होते हैं। इन प्रतीक रूपी सेना को खत्म करने के बाद रावण पर गोलियां बरसाई जाती है।
दो घंटों चक चलता है रावण से युद्ध
वह दशानन और विशाल है इस कारण करीब एक से दो घंटे तक यह युद्ध जारी रहता है। उसके बाद मशाल के तीर से रावण दहन किया जाता है। सबसे बड़ी बात आज तक इस गोलीमार युद्ध में कोई भी घायल नहीं हुआ है। हजारों लोग इसे देखने आते हैं लेकिन सुरक्षा बंदोबस्त बहुत ही सख्त रखे जाते हैं। आज शाम को भी यही सब उदयपुरवाटी में होने वाला है। पांच बीघा के बड़े से मैदान में इसका बंदोबस्त कर लिया गया है।
यह भी पढ़े- दशहरे पर भगवान रघुनाथ का रथ खींचेंगे PM मोदी, 372 सालों पुराना है कुल्लू के दशहरे का इतिहास