सार

राजस्थान में शनिवार एयर  फोर्स के दिन एक दुखद खबर सामने आई। दरअसल टैंक चलाने की ट्रेनिंग देने के दौरान प्रदेश का एक लाल फिर शहीद हो गया। झुंझुनूं के रहने वाले शहीद सूबेदार सुमेर सिंह का टैंक का बैरल फटने से मौत हो गई। शनिवार को अंतिम विदाई दी जाएगी।

झुंझुनूं. उत्तर प्रदेश के झांसी इलाके में बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में युद्धाभ्यास के दौरान  T-90 टैंक फटने से नायाब सूबेदार सुमेर सिंह और गनर सुकांता शहीद हो गए। हादसे में शहीद हुए सूबेदार सुमेर सिंह राजस्थान के शेखावाटी जिला सीकर झुंझुनू के रहने वाले हैं। जैसे ही आज जवान की पार्थिव देह है उनके गांव पहुंची तो घर में कोहराम मच गया। आज जवान का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बगड़िया का बास में किया जाएगा। जहां गमगीन और देशभक्ति के माहौल के बीच सूबेदार को अंतिम विदाई दी जाएगी।

अचूक निशाना लगाते थे शहीद सुमेर सिंह
सूबेदार सुमेर सिंह के साथी जगत सिंह ने बताया कि सुमेर सिंह का निशाना अचूक था। साथ ही वह टैंकर के भी मास्टर ट्रेनर थे। 100 से ज्यादा जवानों को वह टैंक ऑपरेट करना सिखा चुके थे। जगत सिंह ने बताया कि वह पिछले करीब 10 सालों से सुमेर सिंह के साथ ही यूनिट में रह रहे थे। वही कारगिल के युद्ध के दौरान सुमेर सिंह भी जैसलमेर में भारत पाक बॉर्डर पर टैंक लेकर मोर्चा संभाल रहे थे।

गांव के कई लोगों को आर्मी में जाता देख, देश सेवा की भावना जागी थी
परिजनों ने बताया कि सूबेदार सुमेर सिंह के गांव से कई लोग सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। ऐसे में बचपन से ही सुमेर सिंह का भी सेना में ही जाने का मन था। 1998 में सुमेर सिंह सेना में भर्ती हो गए। सुमेर सिंह की पत्नी सुमन देवी गांव में ही एक स्कूल में टीचर है। वही शहीद की बेटी भावना आठवीं क्लास में और 8 साल का बेटा कृष तीसरी कक्षा में पढ़ता है। परिजनों का कहना है कि सुमेर सिंह भले ही शहीद होकर इस दुनिया से विदा हो चुके हो। लेकिन परिवार को सुमेर की शहादत पर गर्व है।

दिवाली में छुट्टियों पर आने वाले थे, पता नहीं था ऐसे आएंगे
परिजनों ने बताया कि इस बार दो दिन पहले ही उनकी सुमेर सिंह से बात हुई थी। तब सुमेर सिंह ने कहा था कि वह जल्द ही दिवाली पर छुट्टियां लेकर घर पर आएगा। लेकिन घर वालों को पता नहीं था कि तिरंगे में लिपट कर उनका बेटा आएगा। आज सुबह जब जवान की पार्थिव देह उनके गांव पहुंची तो हजारों की संख्या में युवा वहां जुटे हुए हैं। जो तिरंगा यात्रा के साथ जवान की पार्थिव देह को उनके घर तक और फिर शमशान लेकर जाएंगे जहां राजकीय सम्मान के साथ जवान का अंतिम संस्कार होगा।

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