सार

डॉ. बीएम भारद्वाज और डॉ. माधुरी भारद्वाज द्वारा स्थापित 'अपना घर आश्रम' ऐसी जगह है जहां इंसानों के साथ साथ घायल जानवरों को सहारा दिया जाता है उनकी सेवा उतने ही ध्यान से की जाती है जितने की किसी इंसान की सेवा की जा रही है और यह बिना किसी भेदभाव के किया जाता है।

भरतपुर.आधुनिकता की दौड़ में लोग सगे रिश्तों से भी किनारा कर लेते हैं। बढ़ती महंगाई अपने बूढ़े माता-पिता और पालतू जानवरों को सड़कों में छोड़ जाते है वहीं भरतपुर का अपना घर आश्रम सेवा का एक ऐसा मंदिर है जहां पर ना केवल 3500 असहाय और बेसहारा लोगों की निस्वार्थ सेवा की जाती है बल्कि सैकड़ों घायल पशु पक्षियों का भी ध्यान रखा जाता है। अपना घर आश्रम बेसहारा पशु-पक्षियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां घायल जीवों का इलाज कर उन्हें स्वस्थ किया जाता है और स्वस्थ होने पर उनके फिर से निवास की व्यवस्था की जाती है।

घायल और बेसहारा जीव ही आते है
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में आने वाले अधिकतर पशु-पक्षी  पशु-पक्षी घायल अवस्था या गंभीर हालत में ही अपना घर आश्रम लाए जाते हैं। उनका यहां पर बेहतर ट्रीटमेंट और केयर की जाती है। हालांकि कभी-कभी काफी केयर के बाद भी उन्हें नहीं बचा पाते हैं। यही वजह है कि अब तक सदन में लाए गए कुल 4717 जीवों में से 3954 ने प्राण त्याग दिए। जबकि अब तक करीब 562 जीवों को स्वस्थ होने पर पुनर्वासित किया जा चुका है। 

अब तक 4700जीवों की सेवा

डॉ. बीएम भारद्वाज और डॉ. माधुरी भारद्वाज द्वारा स्थापित 'अपना घर आश्रम' के जीव सेवा सदन मे कई साल से बेजुबान घायल जीवों की सेवा की जा रही है। अब तक यहां 27 प्रकार के 4,700 से अधिक पशु-पक्षी, बंदर, हिरण, मोर आदि की सेवा की जा चुकी है। आश्रम के जीव सेवा सदन में फिलहाल 90 गाय, 26 नंदी, 40 बछड़ा, 33 बछिया, 3 श्वान, 2मोर, 7 बंदर समेत 201 जीव रह रहे हैं।  

मां जैसा दुलार

जीव सेवा सदन में बेजुबान जीवों को मां जैसा प्यार दिया जाता है। कुछ समय पहले एक गाय की मौत हो गई। लेकिन पीछे छूटी बछड़ी को डॉ माधुरी एक बोतल में दूध भरकर पिलाती हैं और उसका पालन कर रही हैं। सभी जीवों की यहां पर इसी तरह देखभाल की जाती है।