सार
बाड़मेर जिले में सब्जी बेचकर पिता का काम हाथ बटाते की पढ़ाई और रीट एक्जाम पास करते हुए सरकारी टीचर बने। अब राजस्थान सिविल सर्विसेस में सिलेक्शन लेना चाहते है, ताकि पिता के सपनों पर चार चांद लगा सके।
बाड़मेर.जब से राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर (रीट) एक्जाम का फाइनल रिजल्ट आया है तब से ही बाड़मेर में जिले में उन होनहारों के मेहनत और सफलता की कहानियां आ रही है, जिन्होने अपनी मेहनत और कठिन परिश्रम के दम पर यह एक्जाम पास की और सिलेक्ट होकर टीचर बने। इन होनहारों ने साबित कर दिया कि हालात भले ही कितने भी विपरीत क्यों न हो अगर लगातार की गई मेहनत की जाए तो सफलता मिल ही जाती है। यह कहानी एक ऐसे ही सफलता की मंजिल तक पहुंचे नये सिलेक्टेड टीचर सब्जी विक्रेता चूनाराम की है। चाडी के रहने वाले इस नये सिलेक्टेड टीचक ने गली-गली सब्जी बेचने के दौरान भी अपनी पढ़ाई जारी रखी। जब उनकी इस कड़ी मेहनत का रिजल्ट सामने आया तो चुनाराम के पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया और उनकी आंखों में आंसू आ गये।
कोंचिंग गए बिना ही रीट एक्जाम में लिया सिलेक्शन
चूनाराम की प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव चाडी में हुई। उसके बाद बाड़मेर और जैसलमेर में बीएसटीसी की शिक्षा पूरी की सब्जी बेचने के दौरान भी चूनाराम ने नियमित रूप से 6 से 8 घंटे अपनी पढ़ाई को जारी रखा। घर की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट ज्वॉइन कर सके. इसलिय सेल्फ स्टडी को ही उसने आधार बनाए रखा। चूनाराम बताते हैं कि कोविड की वजह से उसकी काफी पढ़ाई प्रभावित हुई, लेकिन उसने अपने डेली रूटीन को बनाए रखा और एक्जाम से एक माह पहले लायब्रेरी ज्वॉइन की थी। रीट परीक्षा में चूनाराम के 134 नंबर आए हैं, अब उसका सिलेक्शन शिक्षक पद के लिये हो गया है।
लोगों के बातों बीच, पिता का हाथ बटाते की पढ़ाई
पिता बरसों तक खेतीबाड़ी कर गुजर बसर चलाते रहै,लेकिन जब खेती बाड़ी से जीवन का गुजर बसर मुश्किल हो गया तो सब्जी बेचने का काम हाथ में लिया और चूनाराम उनके इस काम में उनका हाथ बटाने लगा। जब वह सब्जी बेचने के साथ-साथ पढ़ाई करता था तो लोग उसे ताना मारते थे लेकिन चूनाराम ने उनकी कोई परवाह नहीं की और ठान लिया था कि कुछ करके ही इनको जवाब दिया जा सकता है। यही वजह है कि आज चूनाराम का सिलेक्शन सरकारी टीचर के रूप में हुआ है। जब से उसका सिलेक्शन टीचर के लिए हुआ है तब से बधाई देने वाले कई लोग आ रहे है।
पिता का सपना किया पूरा, अब प्रशासनिक सेवा की तैयारी
चूनाराम ने बताया कि उनके पिता का सपना था कि वह शिक्षक बने और उसने अपनी मेहनत के दम पर यह मुकाम हासिल किया। वह अब राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिए तैयारी अपने पिता के सपनों में चार चांद लगाना चाहता हैं। उन्होने कहा कि हौसले बुलंद हो तो सफलता मिलती है।