सार

इश्क पर जोर नहीं है ये आतिश है  'ग़ालिब'...कि लगाए न लगे और बुझाए न बनें। वाकई गालिब का ये शेर इस कपल पर बैठता है। उम्र और अमीरी-गरीबी का फर्क मिटाकर दोनों एक हो गए। इनकी लव स्टोरी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

रिलेशनशिप डेस्क. कहते हैं प्यार होता है तो उम्र मायने नहीं रखता है। पाकिस्तान के इस कपल पर ये लाइन पूरी तरह से लागू होती है। 50 साल की मालकिन का दिल 20 साल के नौकर पर आता है और दोनों हमेशा के लिए एक दूजे के हो जाते हैं। दुनिया की परवाह किए बैगर जब ये दोनों एक होते हैं तो उनकी लव स्टोरी वायरल होने लगती हैं। चलिए बताते हैं पाकिस्तान के सरगोधा के रहने वाले इस कपल की अनोखी लव स्टोरी। 

50 साल की शाजिया अपने घर में अकेली रहती थी। परिवार नहीं होने की वजह से उनकी जिंदगी तन्हा गुजर रही थी। 20 साल का नौकर फारुख उनके लिए खाना बनाता था और घर की देखभाल करता था। शाजिया का दिल अपने नौकर के लिए धड़कने लगा और एक दिन उन्होंने फारुख को प्रपोज कर दिया। शाजिया बताती हैं कि वो घर में अकेली रहती थी और फारुख उनके लिए खाना बनाते थे और अच्छा ख्याल रखते थे। फारुख का भी कोई नहीं था। दोनों एक दूसरे को पूरा करते थे इसलिए हमने शादी का फैसला कर लिया।

शाजिया को तन्हा देख अजीब लगता था

वहीं फारुख भी शाजिया की तारीफ करते हुए कहते हैं कि उन्होंने कभी भी मेरे साथ नौकर की तरह व्यवहार नहीं किया। बल्कि घर का सदस्य ही माना। वो मुझे आप कहकर बोलती थी। वो कुरान पढ़ती थी मैं सोचता था कि आज के वक्त में भला ऐसा कौन करता है। वो मुझे अच्छी लगती थी। वो अकेली छत पर रहती थी तो मुझे बुरा लगता था कि इनके साथ कोई नहीं है। वो धीरे-धीरे मुझे अच्छी लगने लगी थी। जब उन्होंने प्रपोज किया तो मैं थोड़ा हैरान था लेकिन हां कहने में देरी नहीं लगाई।

शादी के फैसले के बारे में जान रिश्तेदार हुए हैरान

शाजिया ने आगे बताया कि जब उन्‍होंने रिश्‍तेदारों को शादी के फैसले के बारे में बताया और तो वे हैरान रह गए थे।उम्र के अंतर को लेकर सवाल भी उठाया था। लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। वो बोलीं कि जब मैं अकेली थी तब किसी को मेरा ख्याल नहीं आया। इसलिए रिश्तेदारों के किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता। हमने निकाह कर लीं।

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दोनों एक दूजे के लिए दे सकते हैं जान

फारुख ने कहा कि मोहब्बत में उम्र नहीं देखी जाती है। बस एहसास मायने रखता है। उन्होंने कहा कि वो शाजिया को इतनी मोहब्बत करते हैं कि जान भी दे सकते हैं। वहीं, शाजिया ने भी कहा कि जब ये जान दे सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। मैं भी इनके लिए जान दे सकती हूं। वहीं, सैलरी को लेकर सवाल किया गया तो शाजिया ने कहा कि हम दोनों मिलकर घर का काम करते हैं अब जो मेरा है वो सब इनका ही है। शाजिया बताती हैं कि आज भी फारुख ही खाना बनाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि दोनों के बीच कभी भी लड़ाई नहीं हुई है। 

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