सार
कहते हैं बिजनेस रिश्तों में खटास ला सकता है। लेकिन अगर रिश्ते में प्यार और भरोसा हो तो साथ मिलकर शुरु किया गया बिजनेस बुलंदियों पर पहुंच सकता है। पांच भाई-बहन की जोड़ी ने ये कारनाम कर दिखाया है।
रिलेशनशिप डेस्क.भाई-बहन के पवित्र प्यार का त्योहार रक्षाबंधन (Raksha bandhan 2022) 11 अगस्त को है। भाई-बहन के इस पर्व पर हम आपको 5 ऐसे भाई-बहन की जोड़ी से मिलवाने जडा रहे हैं जिन्होंने मिलकर बिजनेस शुरू किया और अच्छे बिजनेस पार्टनर बन गए। किसी ने नए बिजनेस को शुरू किया तो किसी ने पुश्तैनी कारोबार को मिलकर आगे बढ़ाया। इनकी कंपनी का सालाना टर्न ओवर लाखों में हैं। आइए मिलते हैं उन पांच भाई-बहन के जोड़ी से।
1. अलमास नंदा और भाई अमीन विरजी ( Almas Nanda and Amin Virji)
अलमास नंदा अपने भाई अमीन विरजी के साथ पुश्तैनी जूते के कारोबार को आगे बढ़ाया। हालांकि यह आसान काम नहीं था, लेकिन दोनों भाई-बहन ने मेहनत के दम पर इंक5 (Inc.5) शूज को अग्रणी फुटवियर ब्रांड के तौर पर खड़ा कर दिया। 1998 में अलमास नंदा जब 24 साल की थी तो महिलाओं के लिए स्टाइलिश फुटवियर बनाने की शुरुआत की थी। अलमास अपने भाई अमीन विरजी के साथ मशहूर शॉपिंग सेंटर हीरा पन्ना में एक स्टोर से इस कारोबार को शुरु किया। अब इस ब्रांड के देशभर करीब 54 एक्सक्लूसिव स्टोर है। इसके साथ ही वो 300 बिक्री केंद्र भी चला रहे हैं। Inc.5 का सालाना टर्नओवर करीब 163 करोड़ रुपये है। बता दें कि इनके दादा जी ने साल 1954 में रीगल शूज के नाम से कारोबार शुरू किया था। 2001 में रीगल शूज का विलय इंक5 (Inc.5) में हो गया।
2.अमित रंजन और रश्मि सिन्हा ( Amit Ranjan and Rashmi Sinha)
इस बहन की जोड़ी ने भी साथ में बिजनेस करके एक बड़ा मकाम पाया लिया है। इस भाई बहन की जोड़ी बनने के पीछे की कहानी कुछ ऐसी है, जब अमित एमबीए के बाद अपनी सेल्स और मार्केटिंग की नौकरी से ऊब गए थे तो रश्मि के साथ मिलकर बिजनेस करने की सोची। रश्मि भी एकेडेमिया में अपने कार्यकाल से खुश नहीं थी। इसलिए साल 2006 में मिलकर उन्होंने स्लाइडशेयर की शुरुआत की। रश्मि सीईओ हैं और अमित सीओओ के रूप में भारत के संचालन की देखरेख करते हैं। स्लाइडशेयर व्यावसायिक दस्तावेजों, वीडियो और प्रस्तुतियों के लिए एक साझाकरण मंच है। इनकी कंपनी को लिंक्डइन ने साल 2012 में 119 मिलियन डॉलर नकद और स्टॉक में अधिग्रहित किया था।
3. गौरव गोयनका और सुचेता गोयनका (Gaurav Goenka and Sucheta Goenka
मिराह समूह के हिस्से के रूप में अपने पिता के साथ मिलकर काम करने के बाद, गौरव को 'मिड-सेगमेंट होटल' का विचार आया। सुचेता भी बिजनेस में शामिल होने को लेकर अत्यधिक उत्साहित थीं। दोनो मिलकर इस ग्रुप के लिए काम कर रहे हैं। गौरव अधिग्रण और निवेश को देखते हैं। वहीं सुचेता प्रबंधन के क्षेत्र की देखभाल करती है। सुचेता और गौरव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि हमें हर दिन यह याद दिलाना पड़ता है कि हम एक ही परिवार के हैं और ऑफिस में काम छोड़ दिया जाना चाहिए। सुचेता ने बताया कि गौरव मेरे साथ ठीक वैसे ही व्यवहार करता है जैसे कि अन्य किसी कर्मचारी के साथ। हम पारिवारिक मामले घर पर छोड़ देते हैं और ऑफिस का काम ऑफिस में हैं। हम दोनों पेशेवर हैं।
4. जुबिन जगतियानी और शाइना जगतियानी (Zubin Jagtiani and Shaina Jagtiani)
जुबिन जगतियानी और शाइना जगतियानी की जोड़ी ने रेड स्पोक्स साइकिलिंग कंपनी की शुरुआत की।
यह भाई-बहन की जोड़ी चाहती है कि लोग अपने आसपास की दुनिया को धीमा करें, साइकिल चलाएं और उसकी सराहना करें। उन्होंने बैंगलोर की एक कंपनी रेड स्पोक्स साइक्लिंग की सह-स्थापना की, जो मौज-मस्ती के साथ साइकिलिंग को बढ़ावा देती है। लोग साइकिल से ट्रैवल करते हुए अलग-अलग जगहों के रीति रिवाज को समझे और जानें। इस कंपनी का भी सालाना टर्नओवर लाखों में हैं।
5. सुरेश नंजन और स्वर्गीय विजयलक्ष्मी (Suresh Nanjan and (Late) Vijaylaxmi)
सुरेश ने अपनी बहन विजयलक्ष्मी के साथ मिलकर विजयलक्ष्मी नेचुरल फार्म प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत की। सुरेश बताते हैं कि मेरी बहन के नाम पर इस कंपनी का नाम रखा गया है। वो एक असफल शादी के बाद खुद को मजबूत बनाने का संकल्प लिया था। वो कॉलेज से ड्रॉपआउट और नौकरी नहीं करना चाहती थी। लेकिन कृषि क्षेत्र, विशेष रूप से चाय की खेती में अपने दम पर कुछ करने का फैसला किया।सुरेश ने अपनी बहन के साथ मिलकर नीलगिरि चाय किसानों की समस्याओं पर काम किया। लेकिन दुर्भाग्य से साल 2009 में उनकी बहन का निधन हो गया। इसके बाद साल 2013 में सुरेश ने अपनी बहन के नाम पर विजयलक्ष्मी नेचुरल फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की, जिसमें दो प्रमुख उत्पाद, टीनीर, विशेष रूप से दस्तकारी नीलगिरी चाय, और थलीर, ताजी सब्जियां शामिल है,जिसे वे सब्सक्रिप्शन मॉडल पर उपभोक्ताओं को बेचते हैं। वो इस बिजनेस के जरिए अपनी बहन को जिंदा रखे हुए हैं। वाकई रक्षाबंधन का सही मतलब क्या होता है ये हमें बताते हैं।
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