सार

रिसर्चर्स ने एक स्टडी में पाया है कि सिंगल लोगों को ज्यादा दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्हें सोशल सपोर्ट भी कम ही मिलता है।

विएना। सिंगल लोगों पर ऑस्ट्रिया की यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस और स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बेलेरिक आइलैंड्स के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण रिसर्च स्टडी की है। इस स्टडी से यह निष्कर्ष सामने आया है कि सिंगल लोगों को दूसरों की तुलना में ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्हें सोशल सपोर्ट भी बहुत कम मिल पाता है। किसी भी तरह की बीमारी होने पर उन्हें दूसरे लोगों की अपेक्षा ज्यादा दर्द महसूस होता है। इसकी वजह ये बताई गई कि वे लोगों से अलग-थलग रहते हैं और उनकी किसी से बातचीत भी कम होती है। इसके साथ ही फिजिकल रिलेशन के अभाव में भी वे ज्यादा दर्द महसूस करते हैं। 

कैसे हुआ रिसर्च
इस रिसर्च में 48 कपल्स को शामिल किया गया। इसके बाद सबका अलग-अलग टेस्ट किया गया। साथ ही, उनके पार्टनर की मौजूदगी में भी उनका टेस्ट किया गया, लेकिन पार्टनर को उन्हें टच करने नहीं दिया गया। दोनों हालत में उनकी जांच करने से पता चला कि अकेले रहने के दौरान उन्हें ज्यादा दर्द और परेशानी महसूस हुई। 

पार्टनर की मौजूदगी में दर्द का एहसास हुआ कम
रिसर्चर्स ने पाया कि जब तक उनके पार्टनर साथ रहे, महिलाओं को दर्द कम महसूस हुआ, जबकि उन्हें दर्द कम करने की कोई दवा नहीं दी गई थी। इससे जाहिर हुआ कि यह मनोवैज्ञानिक असर था। पार्टनर की मौजूदगी में दर्द को सहने की उनकी क्षमता बढ़ गई। 

बात करने और छूने से और कम हुआ दर्द 
इसके अलावा, जब उनके पार्टनर ने बातचीत करने के साथ उनके शरीर को टच करना शुरू किया, उनके हाथों और सिर को सहलाया तो उनके दर्द में और भी कमी आई। इससे पता चलता है कि अगर किसी का पार्टनर उसके साथ मौजूद हो तो किसी भी तरह के दर्द और परेशानी को सहने की क्षमता बढ़ जाती है। प्रोफेसर स्टीफन डस्कक ने कहा कि इस रिसर्च से यह साबित हुआ है कि सिंगल रहना हर हाल में बुरा है। किसी भी शारीरिक-मानसिक परेशानी के दौरान सिर्फ पार्टनर की मौजूदगी ही पॉजिटिव असर डालती है। वहीं, अगर पार्टनर बात करने के साथ अपने साथी के शरीर को टच भी करता है तो सकारात्मक प्रभाव कई गुणा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि टच से एक ऐसी फीलिंग होती है, जो हीलिंग प्रॉसेस को तेज कर देती है।