सार

एक रिसर्च से पता चला है कि जो लोग प्यार में सफल होते हैं, उनका दिमाग उन लोगों की तुलना में ज्यादा तेज होता है, जो लव अफेयर्स के मामले में सफल नहीं हो पाते। 

रिलेशनशिप डेस्क। संबंधों की दुनिया भी विचित्र है, खासकर प्रेम संबंधों की। इस बात में कोई शक नहीं कि जिन लोगों के सफल प्रेम संबंध होते हैं, वे जीवन के दूसरे क्षेत्रों में भी कई उपलब्धियां हासिल करते हैं। वहीं, प्यार में असफल लोगों का जीवन कठिनाइयों और दुखों से भरा होता है। अभी हाल ही में हुए एक रिसर्च से पता चला है कि जो लोग प्यार में सफल होते हैं, उनका दिमाग उन लोगों की तुलना में ज्यादा तेज होता है, जो लव अफेयर्स के मामले में सफल नहीं हो पाते। 

कहां हुई यह रिसर्च स्टडी
यह रिसर्च स्टडी शिकागो यूनिवर्सिटी में हुई है। इस रिसर्च को किया है वहां की वैज्ञानिक स्टेफनी ने। स्टेफनी न्यूरो साइंटिस्ट हैं और उन्होंने अपने करियर का अब तक का सबसे बड़ा हिस्सा इसी बात की स्टडी पर लगाया है कि रोमांटिक लव का हमारे दिमाग पर क्या असर पड़ता है। प्यार की भावना और दिमाग पर उसके असर को समझने की कोशिश कई वैज्ञानिकों ने की, लेकिन उन्होंने इसे एक इमोशन के तौर पर ही देखा। कई शोधकर्ताओं का कहना है कि प्यार का असर दिमाग पर किसी नशे की तरह होता है। इससे किसी को बहुत ज्यादा खुशी और उत्तेजना महसूस होती है। लेकिन स्टेफनी ने इसे समझने के लिए अलग तरीका अपनाया।

न्यूरोइमेजिंग का लिया सहारा
स्टेफनी ने प्यार के दिमाग पर पड़ने वाले असर को समझने के लिए दिमाग की मैपिंग की और न्यूरोइमेजिंग का सहारा लेकर डाटा कलेक्ट किया। इस डाटा के विश्लेषण के बाद उन्होंने पाया कि प्यार ब्रेन के इमोशनल रीजन पर असर डालने के साथ ही उन रीजन्स को भी एक्टिवेट करता है जो उच्च बौद्धिक क्षमता और ज्ञान के लिए जिम्मेदार होते हैं। उन्होंने अपने अध्ययन में यह पाया कि उच्च बौद्धिक क्षमता वाले लोग प्यार को गहराई से महसूस करने और समझ पाने में सफल होते हैं। ऐसे लोग वास्तव में सच्चा प्यार करते हैं, क्योंकि इसकी वजह से उनमें अपने पार्टनर से ऐसा जुड़ाव पैदा होता है, जो आसानी से खत्म नहीं हो सकता। ऐसे लोग प्यार में इतने समर्पित होते हैं कि किसी वजह से उनका अपने साथी से अलगाव हो जाए तो वे अकेले ही जिंदगी व्यतीत कर देते हैं। 

प्यार से आता है व्यवहार में बदलाव
स्टेफनी ने कहा कि इस विषय के प्रति उनका रुझान तब हुआ, जब ले पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च कर रही थीं। उन्होंने लंबे समय तक इसे लेकर रिसर्च किया। उनका कहना था कि शुरुआती दौर में उन्होंने रिसर्च सब्जेक्ट्स को उनके करीबी लोगों और कुछ अजनबियों के नाम बताए और तस्वीरें दिखाईं। इसके बाद फंक्शनल एमआरआई से उनके ब्रेन पर इसका रिस्पॉन्स देखा। उन्होंने जो तथ्य जुटाए, उसका इस्तेमाल रोमांटिक लव के साथ बेसिक इमोशंस जैसे खुशी और मां के साथ प्यार को अलग-अलग परिभाषित करने के लिए किया।

क्रिएटिविटी से जुड़ा हुआ है प्यार
स्टेफनी ने बताया कि प्यार का एक अलग ब्रेन सिग्नेचर होता है। ऐसा ही सिग्नेचर गुस्सा, घृणा, ईर्ष्या जैसे भावों के लिए भी होता है जो अपने आप में खास ही होता है। रिसर्च के दौरान स्टेफनी और उनके सहयोगी शोधकर्ताओं ने दिमाग के उस हिस्से का पता किया, जो प्यार के लिए खास तौर पर संवेदनशील होता है। प्यार की भावना पैदा होने पर दिमाग का यही हिस्सा एक्टिवेट हो जाता है। रिसर्च के दौरान देखा गया कि जिन लोगों में प्यार की भावना ज्यादा होती है और जब वे इसे तीव्र रूप में महसूस करते हैं, तो दिमाग के इस हिस्से में सक्रियता बढ़ जाती है। स्टेफनी का कहना था कि यही हिस्सा क्रिएटिविटी के लिए भी जिम्मेदार होता है। देखा गया है कि जो लोग प्यार की भावना को जितनी गहराई से महसूस करते हैं, वे उतने ही क्रिएटिव होते हैं।