सार
श्रद्धा वाकर (Shraddha Walker) अब इस दुनिया में नहीं है। लेकिन अपने साथ कई सवाल को छोड़कर गई हैं। प्यार में हम इस कदर अंधे हो जाते हैं कि माता-पिता के सही बोल भी कड़वे लगने लगते हैं। श्रद्धा वाकर के पिता पहली बार मीडिया के सामने आकर कहा कि 18 साल की उम्र में मिलने वाली स्वतंत्रता पर विचार करना चाहिए।
रिलेशनशिप डेस्क. श्रद्धा वाकर (Shraddha Walker) की हत्या उसके लिव इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला (Aaftab Amin Poonawala) ने कर दी थी। इसके बाद उसके शव के टुकड़े करके फ्रिज में रख दिए थे और फिर एक-एक करके उसके अंगों को ठिकाने लगाया। पूरी खबर जब सामने आई तो हर कोई अंदर से हिल गया। लिव इन रिश्ते का ऐसा अंजाम किसी ने सोचा नहीं होगा। श्रद्धा वाकर के पिता विकास वाकर शुक्रवार को पहली बार मीडिया के सामने आए और खुलासा किया कि घर छोड़ते वक्त उनकी बेटी ने क्या कहा था।
विकास वाकर ने कहा कि 18 साल के होने पर बच्चों की काउंसलिंग और कंट्रोल होना चाहिए। मेरी बेटी ने घर छोड़ने से पहले मुझसे कहा, 'मैं अब बालिग हूं।' इस शब्द को सुनने के बाद मैं उससे कुछ कह नहीं सका। उन्होंने कहा कि बच्चों को 18 वर्ष की उम्र में मिलने वाली "स्वतंत्रता" पर विचार किया जाना चाहिए।
'मेरी बेटी घर क्यों नहीं आई वापस'
जांच के बारे में बोलते हुए विकास वाकर ने कहा कि वह अब जांच की दिशा से संतुष्ट हैं। लेकिन महाराष्ट्र पुलिस पहले कार्रवाई की होती तो मेरी बेटी अब जीवित होती।मैं इससे परेशान हूं कि मुंबई पुलिस के जांच में देरी की वजह से मेरी बेटी को नहीं बचाया जा सका। उन्होंने आगे कहा कि आखिरी बार मेरी श्रद्धा से बात 2021 में हुई थी। हमने उसके ठिकाने के बारे में बात की थी। उसने कहा कि वह बेंगलुरु में रह रही है। मैंने 26 सितंबर को आफताब से बात की जब मैंने उससे अपनी बेटी के बारे में पूछा, उसने कोई जवाब नहीं दिया। जिस उत्तर की मुझे तलाश है..'। वो अभी भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं कि उनकी बेटी घर वापस क्यों नहीं आ पाई।
'आफताब ने मेरी बेटी को ब्लैकमेल किया'
विकास वाकर ने यह भी कहा कि आफताब की वजह से मेरी बेटी हम लोगों से बात नहीं की। आफताब ने मेरी बेटी को तैयार किया था कि उसे अब अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना पड़ेगा। इसलिए उसने जाने से पहले मुझसे बात नहीं की। हां, मैं इस रिश्ते के खिलाफ था।आफताब ने ब्लैकमेल किया और वह घर नहीं आ सकी।
ये सिर्फ श्रद्धा वाकर और विकास वाकर की कहानी नहीं हैं। आए दिन ना जाने कितनी लड़कियां अंधे रिश्ते में फंसकर माता-पिता से दूरी बना लेती हैं। बाद में उन्हें इसका अंजाम भुगतना पड़ता है। क्या वाकई 18 साल के उम्र होने पर बच्चों की काउंसलिंग की जानी चाहिए।
बालिग होने का नशा छा जाता है
बता दें कि 18 साल के होने पर लड़का या लड़की बालिग हो जाते हैं। उन्हें कई सारे कानूनी अधिकार मिल जाता है। वो मतदान कर सकते हैं। सेना में शामिल हो सकते हैं। ड्राइविंग परमिट प्राप्त कर सकते हैं। सहमत वयस्क के साथ यौन संबंध रख सकते हैं। 18 साल की होने पर लड़कियां शादी भी कर सकती हैं। इसके अलावा भी उन्हें कई अधिकार मिल जाते हैं। कई तरह के अधिकार मिलने से उनपर नशा छा जाता है।
बालिग होते बच्चों की काउंसलिंग जरूरी
इस उम्र में रिलेशनशिप को लेकर भटकाव बहुत आसान होता है। लड़कों का लड़कियों और लड़कियों का लड़कों की तरफ आकर्षण बहुत आम बात है। लेकिन यहां सोच समझकर फैसला लेना जरूरी होती है। ऐसे में माता-पिता को अपने बालिग बच्चों की काउंसलिंग करानी चाहिए और बताना चाहिए कि प्यार से ज्यादा जरूरी करियर है। अगर यह खराब हो गया तो भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
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