सार

सेक्शुअल वायलेंस की शिकार महिलाएं रिलेशनशिप में सहज नहीं हो पातीं। अक्सर पुरानी यादें उन्हें परेशान करती रहती हैं। एक स्टडी में इसका खुलासा हुआ है।

लाइफस्टाइल डेस्क। जो  महिलाएं अपनी लाइफ में कभी भी सेक्शुअल वायलेंस की शिकार हुई हों, वे रिलेशनशिप में सहज नहीं हो पातीं। हमेशा उनके मन में एक डर बना रहता है। एक रिसर्च से यह पता चला है कि यौन हिंसा की शिकार महिलाएं इससे जुड़ी यादों को दशकों तक भूल नहीं पातीं और इसका बहुत ही बुरा असर उनकी मैरिड लाइफ पर पड़ता है। इस डर के चलते कई बार वह पति से सेक्स संबंध नहीं बना पातीं। इसका परिणाम होता है कि उनकी मैरिड लाइफ खतरे में पड़ जाती है।

कहां पब्लिश हुई यह रिसर्च
यह रिसर्च 'फ्रंटियर्स इन न्यूरोसाइंस' जर्नल में पब्लिश हुई है। साइकोलॉजिस्ट्स की एक टीम ने लंबे समय तक सेक्शुअल वायलेंस की शिकार हुई कई महिलाओं के व्यवहार का अध्ययन किया। इसमें उन्होंने पाया ऐसी महिलाएं पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) की समस्या से पीड़ित हो जाती हैं। इस डिसऑर्डर में महिलाएं अपने साथ हुए गलत व्यवहार को कभी नहीं भुला पाती हैं। इस रिसर्च स्टडी के को-ऑथर प्रोफेसर ट्रेसी शोर्स ने कहा कि ऐसा महिलाएं एंग्जाइटी और डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं। ट्रेसी वॉशिंगटन के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड साइंस के डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी एंड सेंटर फॉर कोलाबोरेटिव न्यूरोसाइंस में प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा कि इससे ये महिलाएं तब तक नहीं निकल सकतीं, जब तक उनका सही तरीके से ट्रीटमेंट न हो। 

रिसर्च स्टडी में 183 महिलाएं की गईं शामिल
इस रिसर्च स्टडी में कुल 183 महिलाएं शामिल की गईं। इनमें 64 महिलाएं सेक्शुअल वायलेंस की शिकार थीं, जबकि 119 महिलाओं के साथ इस तरह की कोई बात नहीं हुई थी। सेक्शुअल वायलेंस की शिकार महिलाओं में 10 फीसदी अपनी कड़वी यादों को भूलने के लिए एंटी-एंग्जाइटी और एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयां ले रही थीं। जो महिलाएं यौन हिंसा का शिकार हुई थीं, उनका कहना था कि वे कभी भी अपने अतीत की उन कड़वी यादों को भूल नहीं पातीं और उन्हें किसी के साथ संबंध बनाने में डर लगता है।

दुनिया भर में 30 फीसदी महिलाएं हैं सेक्शुअल वायलेंस की शिकार
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, पूरी दुनिया में करीब 30 फीसदी महिलाएं यौन हिंसा की शिकार हैं। ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, 14 से लेकर 35 साल की 30 फीसदी महिलाएं अपने जीवन में कभी न कभी शारीरिक छेड़छाड़, यौन हिंसा और बलात्कार का सामना किया है। इनमें कम उम्र की लड़कियों की संख्या ज्यादा है।

कैसे ठीक हो सकती हैं ऐसी महिलाएं
प्रोफेसर ट्रेसी शोर्स  का कहना है कि पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिजऑर्डर (PTSD) की समस्या से पीड़ित महिलाओं का इलाज बहुत जरूरी है। इसके बिना वे सामान्य जीवन नहीं बिता सकतीं और न ही किसी के साथ रिलेशनशिप एन्जॉय कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए लंबे समय तक एक्सपोजर थेरेपी देनी पड़ती है, जिसमें उन्हें पुरानी यादों से छुटकारा पाने की तकनीक बतायी जाती है। इसमें उनसे इंटरव्यू, स्टोरी राइटिंग और यहां तक कि जहां उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ था, वहां भी ले जाया जाता है। प्रोफेसर शोर्स ने इससे उबरने के लिए मेंटल एंड फिजिकल ट्रेनिंग प्रोग्राम भी बनाया है, जिसमें 30 मिनट तक उन्हें मेडिटेशन करवाया जाता है और उसके बाद 30 मिनट तक एरोबिक एक्सरसाइज करवाया जाता है। यह छह हफ्ते का प्रोग्राम है, जिसमें महिलाओं को हफ्ते में दो दिन शामिल होना पड़ता है। इसका बेहतर असर देखने को मिला है।