सार
किसी इंसान की मौत के बाद उसके शव को या तो दफना दिया जाता है या फिर जला दिया जाता है, लेकिन एक जनजाति ऐसी है जहां पर अपनों की मौत के बाद उसके मृत शरीर को खाया जाता है।
रिलेशनशिप डेस्क : दुनिया में कई रीति रिवाज ऐसे हैं जिन्हें जानने के बाद हमारी रूह कांप जाती है। कुछ इसी तरह से ब्राजील और वेनेजुएला की बॉर्डर पर एक जनजाति ऐसी है, जो अपने प्रियजनों की मौत के बाद उनके शरीर को सड़ा कर खा जाती है। जी हां, इसके पीछे लोगों की बड़ी मान्यता है और यहां पर लोग सदियों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। आइए आपको भी बताते हैं इस अजीबोगरीब रिवाज के बारे में कि आखिर क्यों यह लोग अपनों की ही लाश को सड़ा कर इसका सेवन करते हैं...
कौन है यह लोग जो अपनों के ही मृत शरीर को खा लेते हैं?
मृतकों का अंतिम संस्कार इसलिए किया जाता है ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके। लेकिन ब्राजील और वेनेजुएला की बॉर्डर पर निवास करने वाले यानोमामी नामक जनजाति के लोग अपने प्रियजनों की मुक्ति के लिए उनकी ही लाश का सेवन कर लेते हैं। जी हां, अमेजन के जंगलों में रहने वाली एक जनजाति ऐसी है, जहां पर इस रिवाज का पालन किया जाता है। इस जनजाति के लोग अपनों के मरने के बाद उनकी लाश को 40 से 45 दिनों तक सड़ने के लिए दूर फेंक देते हैं। इसके बाद लाश के बचे हुए बॉडी पार्ट जैसे हड्डी और अन्य चीजों को जला दिया जाता है और इसकी राख को केले में मिलाकर इसका सूप तैयार किया जाता है, जो पूरे गांव में बांटा जाता है और सभी लोग इस सूप का सेवन करते हैं।
क्या है इसके पीछे की वजह
बताया जाता है कि 1759 में इस जनजाति के बारे में पता चला था, जब स्पेन के खोजी अपोलिनार डिएज़ डे ला फ़ुएंते पडामो नदी के पास रहने वाले लोगों से मिलने के लिए पहुंचे थे। यह जनजाति 200 से 250 गांव में रहती है और लगभग 35 हजार से ज्यादा लोग इस जनजाति में है। लोगों का मानना है कि अपने सगे संबंधियों की मौत के बाद उनकी लाश को सड़ा कर उसका सूप पीने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही लाश की राख से बने सूप को पीने से उनके अंदर शक्ति और ताकत भी बढ़ती है।
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