सार
Kab Hai Ratha Saptami 2025: माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इसे अचला सप्तमी भी कहते हैं। जानें 2025 में कब है रथ सप्तमी?
Achala Saptami 2025 Shubh Muhurat: ग्रंथों के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है, इसे अचला सप्तमी भी कहते हैं। इस दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इसी तिथि पर सूर्यदेव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। आगे जानें 2025 में कब किया जाएगा रथ सप्तमी व्रत, इसके शुभ योग-मुहूर्त…
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कब करें रथ सप्तमी व्रत 2025? (Ratha Saptami 2025 Date)
पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 04 फरवरी, मंगलवार की सुबह 04 बजकर 37 मिनिट से शुरू होगा, जो 05 फरवरी, बुधवार की रात 02 बजकर 31 मिनिट तक रहेगी। चूंकि सप्तमी तिथि का सूर्योदय 4 फरवरी को होगा, इसलिए ये पर्व 4 फरवरी, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन शुभ, शुक्ल, अमृतसिद्धि और सर्वार्थसिद्धि नाम के 4 शुभ योग दिन भर रहेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।
रथ सप्तमी 2025 पूजा शुभ मुहूर्त (Ratha Saptami 2025 Shubh Muhurat)
रथ सप्तमी पर पवित्र नदी में स्नान का महत्व है। ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। रथ सप्तमी पर स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 05:23 से 07:08 तक रहेगा। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 09:55 से 11:17 तक
- सुबह 11:17 से 12:40 तक
- दोपहर 12:18 से 01:02 तक
- दोपहर 12:40 से 02:03 तक
इस विधि से करें रथ सप्तमी व्रत (Ratha Saptami Puja Vidhi)
- 4 फरवरी, मंगलवार की सुबह ऊपर बताए मुहूर्त में नदी या सरोवर में स्नान करें। यदि ऐसा न कर पाएं तो घर ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के बाद तांबे के दीपक में तिल का तेल डालकर जलाएं और इस इसे सिर पर रखकर सूर्यदेव का ध्यान करें व ये मंत्र बोलें-
नमस्ते रुद्ररूपाय रसानाम्पतये नम:।
वरुणाय नमस्तेस्तु हरिवास नमोस्तु ते।।
यावज्जन्म कृतं पापं मया जन्मसु सप्तसु।
तन्मे रोगं च शोकं च माकरी हन्तु सप्तमी।
जननी सर्वभूतानां सप्तमी सप्तसप्तिके।
सर्वव्याधिहरे देवि नमस्ते रविमण्डले।।
- इस दीपक को नदी में प्रवाहित कर दें या किसी पेड़ के नीचे रख दें। अब फूल, धूप, दीप, कुमकुम, चावल से सूर्यदेव की पूजा करें।
- एक मटकी में गुड़, घी, तिल रखकर इसे लाल कपड़े से ढंककर ब्राह्मण को दान करें। अपने गुरु को भी कपड़े, तिल दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
- इस दिन निर्जला उपवास करें यानी दिन भर कुछ खाए-पीएं नहीं। विशेष परिस्थिति में फल और गाय का दूध ले सकते हैं।
- अगले दिन यानी 5 फरवरी, बुधवार को व्रत का पारणा करें। मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
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