सार

Adipurush Movie Blunder: फिल्म आदिपुरुष रिलीज होने के साथ ही लोगों के निशान पर आ गई है। फिल्म के डायलॉग के साथ इसके कुछ दृश्यों को लेकर भी इसे ट्रोल किया जा रहा है। फिल्म में कई ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं, जिनका धर्म ग्रंथों से कोई लेने-देना नहीं है।

 

उज्जैन. भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित मूवी आदिपुरुष (Adipurush Movie Blunder) 16 जून को पूरे देश में रिलीज हो चुकी है और इसी के साथ इसकी आलोचना भी की जाने लगी है। फिल्म के कुछ संवाद बहुत ही फूहड़ हैं, वहीं कुछ दृश्य भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित किसी भी धर्म ग्रंथ से मेल नहीं खाते। फिल्म की शुरूआत ही ऐसे संवाद से हुई है, जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। आगे जानिए क्या है फिल्म आदिपुरुष का पहला सीन और इसमें क्या ब्लंडर है…

ये है फिल्म का पहला सीन
आदिपुरुष फिल्म के पहले सीन रावण तपस्या करता हुआ दिखाई दे रहा है। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा वहां आते हैं और रावण से वरदान मांगने को कहते हैं। फिर ब्रह्मा बोलते हैं कि ‘अमरता के अतिरिक्त और कुछ भी मांग लो’। लेकिन रावण मौन रहता है। कुछ क्षण रुकने के बाद ब्रह्मा रावण को वरदान देते हैं कि ‘ना दिन में-ना रात में , ना जल में-ना हवा में, न धरती पर-ना आसमान में, ना किसी देव-ना कोई दानव तुम्हें मार सकेगा।’ वरदान पाकर रावण वहां से चला जाता है।

यहां गलती कर गए मूवी मेकर्स
फिल्म के पहले सीन में ब्रह्मा रावण को जो वरदान देते हैं वो वरदान दरअसल ब्रह्माजी ने हिरण्यकश्यप नामक दैत्य को दिया था न कि रावण को। श्रीमद्भागवत ग्रंथ में हिरण्यकश्यप दैत्य का वर्णन मिलता है, जिसका वध भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर किया था। शायद मूवी मेकर्स से ठीक से धर्म ग्रंथों का अध्ययन नहीं किया, इसलिए वो ये गलती कर बैठे।

ब्रह्मा ने रावण को कौन-सा वरदान दिया था?
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा चरित रामचरित मानस में इस प्रसंग का विस्तार से उल्लेख मिलता है। उसके अनुसार, जब रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव प्रकट होते हैं तो वे रावण से वरदान मांगने को कहते हैं। तब रावण कहता है कि…
हम काहू के मरहिं न मारें।
बानर मनुज जाति दुइ बारें॥
अर्थ- मनुष्य और बंदरों के अलावा और कोई मेरी मृत्यु का कारण न बनें।

रावण ने यही वरदान क्यों मांगा?
रावण वरदान में ब्रह्मा से और भी कुछ मांग सकता था, लेकिन उसने यही वरदान मांगा कि मनुष्य और बंदरों के अलावा और किसी से मेरी मृत्यु संभव न हो। इसके पीछे जो तर्क विद्वान जन बताते हैं वो ये ही कि रावण अपनी शक्ति के आगे देवताओं को भी कुछ नहीं समझता था। इसलिए उसे लगता था कि जब देवता भी मुझसे डरते हैं तो मनुष्य और वानर तो मेरे सामने तुच्छ हैं। इसी सोच के चलते रावण ने ये वरदान ब्रह्मदेव से मांगा था।



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