सार

Jagannath Rath Yatra 2023: हर साल उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इस बार ये रथयात्रा 20 जून, मंगलवार से निकाली जाएगी। इसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लाखों लोग यहां पहुंचते हैं।

 

उज्जैन. इस बार उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 20 जून से शुरू होगी। ये रथयात्रा 28 जून को पुन: मंदिर में लौटेगी। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर में विश्राम करेंगे। रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra 2023) से जुड़ी एक खास बात ये है कि इसमें भगवान श्रीकृष्ण के भाई और बहन का रथ तो होता है, लेकिन पत्नी रुक्मणि का नहीं। इसके पीछे एक कथा प्रचलित है, जो इस प्रकार है…

जब श्रीकृष्ण ने सोते हुए लिया राधा का नाम
प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपनी पत्नी रुक्मणी के साथ महल में सो रहे थे। तभी अचानक वे नींद में राधा का नाम लेने लगे। रुक्मिणीजी ने जब ये देखा तो अगली सुबह ये बात अन्य सभी रानियों को बताई और कहा कि “हमारी इतनी सेवा और समर्पण के बाद भी स्वामी राधा को याद करना नहीं भूलते।” इस बात का रहस्य जानने के लिए सभी रानियां माता रोहिणी के पास गईं।

माता रोहिणी ने सुनाए राधा-कृष्ण के प्रसंग
माता रोहिणी ने रानियों को बात सुनकर उन्हें राधा-कृष्ण के प्रसंग सुनाने की बात मान ली, लेकिन ये भी कहा कि “जब में श्रीकृष्ण और राधा की बातें तुम्हें बताऊं तो उस समय कोई भी कमरे में नहीं आना चाहिए। इसके लिए रानियों ने दरवाजे पर निगरानी के लिए श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा को खड़ा कर दिया। 

जब बलराम-श्रीकृष्ण आ गए माता के कमरे तक
जब माता रोहिणी रुक्मिणी सहित अन्य रानियों को श्रीकृष्ण-राधा की लीला सुना रही थी, तभी सुभद्रा ने देखा कि बलराम और श्रीकृष्ण उसी ओर आ रहे हैं। सुभद्रा ने कईं बहाने बनाकर उन्हें माता के कमरे में जाने से रोका। लेकिन कमरे के बाहर तक माता रोहिणी की आवाज सुनाई दे रही थी। राधा के प्रेम की कथा सुनते-सुनते श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा इतने भाव-विभोर हो गए कि उनके शरीर गलने लगे।

नारदजी ने किए इस अद्भुत रूप के दर्शन
राधा के प्रसंग सुनकर जब श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के शरीर गलने लगे तभी वहां से देवर्षि नारद गुजरे। वे इन तीनों के इस रूप को देखकर अभिभूत हो गए। नारद मुनि ने उनसे आग्रह किया कि “मैंने जिस स्वरूप में अभी आपके दर्शन किए हैं, इसी रूप में आप कलयुग में अपने सभी भक्तों को दर्शन दें।” भगवान ने उनकी बात मान ली। इसी रूप में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा रथयात्रा में भक्तों को दर्शन देते हैं और यही कारण है कि पत्नी रुक्मणी का रथ इस रथयात्रा में नहीं होता।



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