सार
Navratri Tradition: नवरात्रि के मौके पर हजारों कलाकार मां दुर्गा की प्रतिमा बनाते हैं। इस प्रतिमा को बनाने में सामान्य मिट्टी के साथ-साथ वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का भी उपयोग होता है। ये परंपरा काफी पुरानी है।
Navratri Ki Parampara: इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 से 11 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन देवी मां की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। देश के अलग-अलग स्थानों पर हजारों लोग देवी मां की प्रतिमा बनाते हैं। इस प्रतिमा को बनाने में सामान्य मिट्टी के साथ-साथ वेश्याओं यानी सेक्स वर्कर्स के आंगन की मि्टटी विशेष रूप से मिलाई जाती है। ये बात जानकर आपको आश्चर्य होगा, लेकिन ये सच है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…
जरूरी है ये परंपरा
देवी की प्रतिमा बनाते समय कलाकार कईं बातों का ध्यान रखते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा जरूरी होती है मिट्टी। कलाकारों का कहना है कि बिना वेश्या के घर की मिट्टी के माता की प्रतिमा नहीं बनाई जाती है। ये एक जरूरी परंपरा है, जिसका पालन सभी लोग करते हैं। वेश्याओं के आंगन की मिट्टी लेने से पहले उनकी अनुमति भी ली जाती है।
जानें इस परंपरा से जुड़ी कथा
प्रचलित कथा के अनुसार, ‘प्राचीन समय में एक बार कुछ वेश्याएं गंगा स्नान के लिए जा रही थीं। उसी मार्ग पर एक कुष्ठ रोगी बैठा था जो आते-जाते लोगों से गंगा स्नान करवाने का निवेदन कर रहा था। उसकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, तभी उन वेश्याओं को उस पर दया आ गई और उन्होंने से गंगा स्नान करवा दिया। वो कुष्ठ रोगी और कोई नहीं बल्कि स्वयं महादेव थे। वेश्याओं का दया भाव देखकर शिवजी अपने मूल रूप में आ गए और वरदान मांगने को कहा। वेश्याओं ने कहा कि ‘हमारे आंगन की मिट्टी के बिना देवी प्रतिमा का निर्माण न हो सके।’ शिवजी उन्हें ये वरदान दे दिया। तभी से ये परंपरा चली आ रही है।
ये भी है एक प्रमुख कारण
दुर्गा प्रतिमा की मि्टटी में सेक्स वर्कर्स के घर के मिट्टी मिलने के पीछे जो दूसरी वजह है वो मनोवैज्ञानिक है। ऐसा कहा जाता है कि जब कोई आदमी किसी तवायफ के घर के अंदर जाता है तो वह अपने सभी अच्छे कामों का फल बाहर छोड़कर जाता है। इस कारण वेश्याओं के आंगन की मिट्टी बहुत पवित्र होती है। इसलिए भी वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का उपयोग देवी प्रतिमा बनाने में किया जाता है।
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