सार

Navratri 2024: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इसके बिना नवरात्रि पर्व की शुरूआत नहीं होती। हिंदू धर्म में कलश को बहुत पवित्र माना गया है, लेकिन बहुत कम लोग इसका महत्व समझते हैं।

 

Navratri Tradition: आश्विन मास में शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 3 से 11 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन माता की प्रतिमा के साथ ही कलश की स्थापना भी की जाती है। कलश को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना गया है। हर शुभ काम में सबसे पहले कलश की स्थापना करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, नवरात्रि के पहले क्यों करते हैं कलश स्थापना और क्या है इसका महत्व, आगे जानिए…

कलश को क्यों मानते हैं पवित्र?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा के कमंडल से ही देवी गंगा की उत्पत्ति हुई है। कमंडल एक तरह से कलश का ही स्वरूप है। इसलिए कलश का विशेष महत्व हिंदू धर्म में माना गया है। साथ ही समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर समुद्र से बाहर निकले थे। इसलिए भी हिंदू धर्म में कलश को बहुत ही पवित्र माना गया है।

देवताओं का वास होता है कलश में
ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, शुभ कार्यों में मंत्रों के द्वारा सभी देवी-देवताओं का आवाहन किया जाता। इन देवी-देवताओं में कलश में स्थान दिया जाता है यानी इस कलश में ये सभी भगवान वास करते हैं। साथ ही हिंदू धर्म में कलश को सुख-समृद्धि का प्रतीक भी माना गया है। यही कारण है कि चित्रों में देवी लक्ष्मी के हाथों में सोने के सिक्कों से भरा कलश दिखाया जाता है।

नवरात्रि के पहले दिन क्यों करते हैं कलश स्थापना?
नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर जब देवी की प्रतिमा स्थापित की जाती है, उसी समय उनके पास जल से भरा कलश भी रखा जाता है। स्थापित होने के बाद इस कलश को हिलाया नहीं जाता क्योंकि ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के 9 दिनों तक सभी देवी-देवता इस कलश में निवास करते हैं और पूजा स्थान की रक्षा भी करते हैं।


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