वैदिक ज्योतिष में शुभ-अशुभ समय का विशेष ध्यान रखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष तिथियों व मुहूर्त को अशुभ माना गया है जैसे अमावस्या, चतुर्दशी, ग्रहण काल आदि। इन अशुभ समय में यदि किसी बालक का जन्म हो तो उसे भी अपने जीवन काल में कई तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ता है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के रत्नों के बारे में बताया गया है। इनसे ग्रहों के शुभ फल प्राप्त होते हैं और परेशानियां कुछ कम होने लगती हैं।
उज्जैन. हमारे धर्म ग्रंथों में सुखी और शांत जीवन पाने के लिए कई गुण बताए गए हैं। ये गुण जिन लोगों में होते हैं वे विपरीत समय आने पर भी स्वयं को कमजोर नहीं होने देते और हमेशा दूसरों की मदद को तत्पर रहते हैं। आज हम आपको धर्म ग्रंथों में बताए गए ऐसे 5 गुणों के बारे में बता रहे हैं, जिनके कारण जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। ये गुण इस प्रकार हैं…
इस बार 14 मार्च से खर मास शुरू हो चुका है, जो 14 अप्रैल तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इस मास का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने के स्वामी भगवान पुरुषोत्तम यानी विष्णु है, इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। होलाष्टक होली दहन से पहले के 8 दिनों को कहा जाता है। इस बार 21 से 28 मार्च तक होलाष्टक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में होलाष्टक को अशुभ समय माना गया है, इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
फेंगशुई में लाइफ की हर परेशानी के लिए कोई-न-कोई उपाय बताया गया है। इसके गैजेट्स हमारी कई परेशानियां दूर कर सकते हैं। फेंगशुई का ऐसा ही एक खास गैजेट है एजुकेशन टॉवर।
उज्जैन. हिंदू धर्म में ऐसे कई ग्रंथ है जिनमें लाइफ मैनेजमेंट को लेकर काफी कुछ बताया गया है। इन्हीं ग्रंथों में से एक है गरुड़ पुराण। जिसमें जीवन से जुड़ी कई गूढ़ बातें बताई गई हैं। जिनका अनुसरण करके आप कई तरह की परेशानियों से खुद को बचा सकते हैं। हर व्यक्ति चाहता हैं कि वह हमेशा खुश रहें, लेकिन कई बार हम अपनी जिंदगी में कुछ ऐसी आदतें अपना लेते हैं। जिसके कारण हमेशा दुखी रहते हैं। गरुड़ पुराण की आचार संहिता में कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया गया है जिनके कारण जीवन में हमेशा दुख रहता है। अगर आप चाहते हैं कि हमेशा सुख-शांति के साथ अपना जीवन जिए तो इन चीजों से तुरंत दूर हो जाए…
प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं। इस बार ये व्रत 17 मार्च, बुधवार को है।
वास्तु शास्त्र में पानी, अग्नि, वायु, आकाश और पृथ्वी तत्व के लिए अलग-अलग दिशाएं या जगह बताई गई हैं। घर में इन तत्वों से जुड़ी चीजें भी इनकी दिशाओं के अनुसार रखनी चाहिए, वरना वास्तु दोष होने लगता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक ग्रह कुंडली में अपने से सातवें घर में मौजूद ग्रह को पूर्ण दृष्टि से देखता है। आज हम बात करते हैं शनि की दृष्टि की। शनि की तीन दृष्टियों 3,7,10 में से तीसरी दृष्टि को सबसे शक्तिशाली और खतरनाक माना गया है।