सार
कोरोना लॉकडाउन में गरीब और प्रवासी मजदूरों के लिए मसीहा बनकर सामने आए सोनू सूद (Sonu Sood) के इस नेक काम का असर उनकी प्रोफेशनल लाइफ पर भी दिखने लगा है। सोनू का कहना है कि उनके काम की वजह से अब फिल्ममेकर उन्हें लीड रोल के लिए अप्रोच कर रहे हैं। यही नहीं, उनकी इमेज को देखते हुए ही मेकर्स स्क्रिप्ट बदलने को भी तैयार हैं।
मुंबई/हैदराबाद। कोरोना लॉकडाउन में गरीब और प्रवासी मजदूरों के लिए मसीहा बनकर सामने आए सोनू सूद (Sonu Sood) के इस नेक काम का असर उनकी प्रोफेशनल लाइफ पर भी दिखने लगा है। सोनू का कहना है कि उनके काम की वजह से अब फिल्ममेकर उन्हें लीड रोल के लिए अप्रोच कर रहे हैं। यही नहीं, उनकी इमेज को देखते हुए ही मेकर्स स्क्रिप्ट बदलने को भी तैयार हैं। सोनू ने 'वी द वीमेन' के वर्चुअल सेशन में साउथ फिल्म 'आचार्य' से जुड़ा एक किस्सा सुनाया। सोनू ने कहा- इस फिल्म के एक सीन में सुपरस्टार चिरंजीवी (Chiranjeevi) ने उन्हें पीटने से मना कर दिया था।
सोनू के मुताबिक, हम फिल्म आचार्य में एक एक्शन सीन शूट कर रहे थे। तभी अचानक चिरंजीवी सर ने कहा- फिल्म में तुम्हारा रोल हमारे लिए एक बड़ी मुसीबत है। वजह ये कि मैं एक्शन सीन में तुम्हें पीट नहीं सकता। अगर मैंने ऐसा किया तो लोग मुझे ही गालियां देंगे। सोनू सूद के मुताबिक, बाद में मेकर्स ने मेरी नई छवि के मुताबिक ही स्क्रिप्ट चेंज की है। इस वजह से अब कई चीजें फिर से शूट करनी पड़ेंगी।
बता दें कि कोरोना से पहले सोनू सूद एक औसत एक्टर के तौर पर जाने जाते थे जोकि फिल्मों में ज्यादातर विलन्स के रोल प्ले करता है। हालांकि कोरोना के दौरान लॉकडाउन में अपनी उदारता और शालीनता से उन्होंने लोगों के दिलों में एक अलग ही जगह बनाई है। लॉकडाउन में सोनू सूद ने यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड, असम और केरल के करीब 25 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया था। इतना ही नहीं, सोनू ने इनके खाने-पीने का भी इंतजाम किया था।
सोनू सूद की नई पहल :
देश के जरूरतमंद लोगों की मदद करने वाले सोनू सूद (Sonu Sood) अब बेरोजगारों के लिए भी मसीहा बनकर सामने आए हैं। इसके लिए वो अपनी प्रॉपर्टी तक बेचने को तैयार हैं। देश में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए सोनू सूद ने अब जरूरतमंदों को ई-रिक्शा मुहैया कराने की योजना बनाई है। इस पहल को सोनू ने 'खुद कमाओ घर चलाओ' नाम दिया है। सोनू सूद के मुताबिक, मुझे ऐसा लगता है कि लोगों को दान में सामान देने से ज्यादा बेहतर विकल्प ये है कि उन्हें काम दे दिया जाए ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। मुझे इस बात का पूरा यकीन है कि लोगों को खुद कमाओ घर चलाओ के जरिए अपने पैरों पर खड़ा होने का पूरा मौका मिलेगा।