सार
यह एक ऐसी कहानी है जिसमें मां का संघर्ष है तो एक अकेली महिला की बेबसी है। बेटी का सपना है और गरीबी की जंजीरें हैं। लेकिन इरादा पक्का हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
U19 World Cup Star Archana. भारत की अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम को टी20 वर्ल्ड जिताने में अहम भूमिका निभाने वाली अर्चना देवी का संघर्ष जानकार हर कोई हैरान है। कभी इस बिटिया और इनकी मां को देखकर लोग रास्ता तक बदल देते थे लेकिन आज पूरा भारत इस बेटी की अगवानी के लिए पलक-पावड़े बिछाए बैठी है। जी हां हम बात कर रहे हैं यूपी की रहने वाली अर्चना देवी कि जिसने वर्ल्ड के फाइनल मुकाबले में दो विकेट लेकर इंग्लैंड को सस्ते में समेटने का रास्ता तैयार किया।
मां का संघर्ष रंग लाया
अर्चना की मां का नाम सावित्री देवी है और उन्होंने पति और बेटे को खोने के बाद अर्चना के सहारे जिंदगी जीने की ठानी। लेकिन इस मां ने मानों ठान लिया था कि अपनी बेटी को दुनिया में सिर उठाकर जीने लायक बनाएंगी। यही वजह रही कि जब सावित्री ने बेटी का एडमिशन कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कराया तो पड़ोसियों ने यहां तक कहा कि लगता है इसने अपनी बेटी को बेच दिया है। बाद में लोग सावित्री के मुंह पर यह बातें कहने लगे। लेकिन अब बेटी भारत की स्टार बन गई तो सावित्री के घर पर मेहमानों का तांता लगा। जो लोग सावित्री के घर का पानी तक नहीं पीते थे, वे बढ़-चढ़कर मदद कर रहे हैं।
2008 में पिता की हुई मौत
अर्चना के पिता का नाम शिवराम था और 2008 में कैंसर की वजह से उनकी मौत हो गई। बड़े बेटे की मौत 2017 में हो गई और पड़ोसियों-रिश्तेदारों तक ने सावित्री का साथ छोड़ दिया। यहां तक कि लोग सावित्री को डायन तक कहते थे। लोग इसी वजह से सावित्री को देखते ही रास्ता बदल देते थे। लेकिन सावित्री ने कभी हार नहीं मानी और 1 गाय-1 भैंस के दम पर परिवार की गाड़ी चलाती रहीं।
कुलदीप यादव ने दी हिम्मत
अर्चना जब कानपुर पहुंची तो टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर कुलदीप यादव के कोच की देखरेख में प्रैक्टिस करने लगीं। कुलदीप भी अपनी मुंहबोली बहन का सपोर्ट करते थे। एक बार अर्चना कुलदीप के साथ कार से जा रही थीं तो पूछा कि यह कौन सी गाड़ी है। तब कुलदीप ने जवाब दिया कि स्टार बन जाओगी तो इससे भी महंगी गाड़ी से चलोगी, तब हम सभी को उसमें जरूर घुमाना।
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