सार
Khel Ratna: खेल मंत्रालय ने नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड 2024 के विजेताओं की घोषणा की है। मनु भाकर, डी गुकेश, हरमनप्रीत सिंह और प्रवीण कुमार को खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा। जानिए कौन है ये खिलाड़ी और क्या मिलेगी सुविधाएं?
Khel Ratna Award 2024: खेल रत्न को खेल का सबसे बड़ा सम्मान कहा जाता है। इस अवॉर्ड को पाने का सपना हर एक खिलाड़ी का होता है। प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का चयन करके इस अवॉर्ड को राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। खेल मंत्रालय ने नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड (NSA) 2024 के लिए नामांकित प्लेयरों की सूची जारी कर दी है। जिसमें शूटर मनु भाकर, वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप विजेता डी गुकेश, भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरा एथलीट प्रवीण कुमार को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा कोच को 5 द्रोणाचार्य अवॉर्ड और 30 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार भी दिया जाएगा।
17 जनवरी 2025 को खेल मंत्रालय ने राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन किया है। जिसमें इन खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाएगा। देश के सबसे बड़े सम्मान की शुरुआत साल 1991-92 में की गई थी। इसके लगभग 34 साल पूरे हो चुके हैं।
किसे मिल सकता है खेल रत्न अवॉर्ड?
इंडियन होम मिनिस्टर की वेबसाइट पर उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार, खेल रत्न अवॉर्ड दिए जाने के लिए कोई जाति, रोजगार, पद और जेंडर का भेदभाव नहीं होता है। इसका हकदार समाज के हर एक छोटे से बड़े क्षेत्र से आने वाले खिलाड़ी होते हैं। वहीं, भारत रत्न विज्ञान, वैज्ञानिक, राइटर, उद्योगपति, राजनीतिक, कला, साहित्य, खिलाड़ी या समाज की सेवक को दिया जा सकता है।
कौन करता है खेल रत्न का चयन?
खेल रत्न अवॉर्ड का चयन युवा मामले और खेल मंत्रायल की गठित समिति के द्वारा की जाती है। इस सम्मान को राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। इसके साथ ही राष्ट्रपति सम्मानित व्यक्तियों को एक प्रमाण पत्र और मेडल देते हैं। इस अवॉर्ड को देते समय कुछ धनराशि भी दी जाती है।
भारत रत्न पाने वाले हस्तियों को मिलने वाली सुविधाएं
भारत रत्न प्राप्त करने वाले किसी सेलिब्रिटी को सरकार की तरफ से हर एक सुविधाएं दी जाती हैं। इस अवॉर्ड को प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को 25 लाख रुपए की धनराशि दी जाती है। साथ ही, एक मेडल और सर्टिफिकेट भी दिया जाता है। यह राशि पहले 7.5 लाख रुपए की होती थी, लेकिन बाद में मोदी की भाजपा सरकार ने इसे बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दिया। इसकी शुरुआत राजीव गांधी के नाम पर की गई थी, लेकिन बाद में इसे मेजर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया गया।
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