सार

बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं परीक्षा विवादों में घिरी, छात्र कर रहे हैं दोबारा परीक्षा की मांग। नॉर्मलाइजेशन और बापू परीक्षा परिसर में गड़बड़ी मुख्य मुद्दा।

पटना न्यूज: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा विवादों में घिर गई है। इसे लेकर पिछले कई दिनों से पटना में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं और कई राजनेता और राजनीतिक दल भी इस विवाद में कूद पड़े हैं। छात्र BPSC की प्रारंभिक परीक्षा फिर से आयोजित करने की मांग कर रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि आखिर ये पूरा विवाद क्या है और इस पूरे हंगामे में कब क्या हुआ-

क्या है BPSC परीक्षा का विवाद

BPSC की संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर 2024 को आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के लिए विज्ञापन सितंबर 2024 में जारी किया गया था और परीक्षा में 4,83,000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिसमें से 3,25,000 उम्मीदवार परीक्षा दिए थे। यह परीक्षा बिहार लोक सेवा आयोग के तहत 2031 पदों पर भर्ती के लिए आयोजित हुई थी, जिसमें SDM के 200 पद, DSP के 136 पद और अन्य राजपत्रित अधिकारी शामिल हैं। हालांकि, परीक्षा से पहले 6 दिसंबर को परीक्षा को लेकर विवाद शुरू हो गया था। यह विवाद परीक्षा के नॉर्मलाइजेशन को लेकर हुआ था। छात्रों ने आरोप लगाया कि बिहार लोक सेवा आयोग परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू कर सकता है। हालांकि, BPSC ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। BPSC ने इन्हें महज अफवाह बताया।

क्या है नॉर्मलाइजेशन विवाद

जब परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है, तो परीक्षा दो या उससे ज्यादा शिफ्ट में आयोजित की जाती है। ऐसे में अगर किसी शिफ्ट का पेपर कठिन होता है और अभ्यर्थियों को उसमें कम अंक मिलते हैं। वहीं, दूसरी शिफ्ट का पेपर थोड़ा आसान होता है और अभ्यर्थियों को उसमें ज्यादा अंक मिलते हैं, तो नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू होने की स्थिति में कठिन पेपर वाली शिफ्ट के अभ्यर्थियों के अंक थोड़े बढ़ जाएंगे। इस तरह अंकों को नॉर्मलाइज कर दिया जाता है। छात्र इसका विरोध कर रहे हैं और उनका कहना है कि इससे उनकी मेरिट पर असर पड़ेगा। छात्रों की मांग है कि परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाए, ताकि नॉर्मलाइजेशन की जरूरत ही न पड़े।

दोबारा परीक्षा कराने से आयोग ने किया इनकार

13 दिसंबर को जब BPSC की परीक्षा अपने तय समय पर हो रही थी, तो पटना के बापू परीक्षा परिसर में कुछ गड़बड़ियां हुईं। दरअसल, अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र मिलने में थोड़ी देरी हुई, जिसके कारण केंद्र पर हंगामा हो गया। इस केंद्र पर करीब 12 हजार छात्रों ने परीक्षा दी थी। हंगामे के कारण बीपीएससी ने बापू परीक्षा परिसर के छात्रों की परीक्षा 4 जनवरी 2025 को फिर से आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसका छात्रों द्वारा विरोध किया जा रहा है और उनकी मांग है कि अगर सिर्फ एक केंद्र पर दोबारा परीक्षा आयोजित करने से परीक्षा की निष्पक्षता प्रभावित होगी तो पूरी परीक्षा दोबारा आयोजित की जाए। हालांकि बीपीएससी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। इसे लेकर पटना के गर्दनीबाग इलाके में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

कहां हुई थी परीक्षा

बापू परीक्षा परिसर का निर्माण बिहार सरकार ने वर्ष 2023 में कराया था। बिहार सरकार का दावा है कि यह देश का सबसे बड़ा परीक्षा केंद्र है, जिसमें एक बार में 20 हजार अभ्यर्थी परीक्षा दे सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परीक्षा के दौरान बीपीएससी, पटना जिला प्रशासन और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के बीच तालमेल ठीक नहीं था, जिसके कारण परीक्षा केंद्र पर देरी हुई।

छात्रों का क्या है आरोप

छात्रों का कहना है कि अन्य केंद्रों पर भी कई अनियमितताएं थीं। कुछ का कहना है कि किसी भी केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे। वहीं, कुछ छात्रों का आरोप है कि कुछ कोचिंग संस्थानों के मॉडल प्रश्नपत्र और बीपीएससी परीक्षा के प्रश्नपत्र में कई समानताएं थीं। साथ ही, कुछ का कहना है कि बीपीएससी परीक्षा में पुलिस भर्ती परीक्षा के स्तर का प्रश्नपत्र दिया गया था। हालांकि, बीपीएससी ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि अगर परीक्षा आसान थी तो कटऑफ हाई होगा और इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, छात्र मानने को तैयार नहीं हैं और इन विरोधों को लेकर विरोध और राजनीति जारी है।

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