सार
हरियाणा विधानसभा चुनाव में देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल के परिवारों के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। राज्य की कई सीटों पर चाचा-भतीजा, दादा-पोते और भाई-भाई आमने-सामने हैं।
Haryana Three Lal's Dynasty Politics: हरियाणा की राजनीति कुछ साल पहले तक तीन 'लालों' के इर्द-गिर्द घूमती रही है। आज भी इन तीन लालों के नाम और उनके परिवार के बदल पर राजनीति हो रही है। बीजेपी से लेकर कांग्रेस और क्षेत्रीय दल भी इन परिवारों के प्रभाव में है। राज्य की चुनावी जंग इस बार भी इन परिवारों के सदस्यों के ताल ठोकने की वजह से मजेदार हो चुकी है। आलम यह कि राज्य की आधा दर्जन से अधिक सीटों पर चाचा-भतीजा, दादा-पोता, भाई-भाई आमने-सामने हैं।
कौन थे यह तीन 'लाल'?
हरियाण के तीन मशहूर 'लालों' में पहले थे चौधरी देवीलाल। ताऊ के नाम से मशहूर रहे चौधरी देवीलाल, राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह जनता दल की सरकार में उप प्रधानमंत्री भी रहे। चौधरी देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। आज देवीलाल के कुनबे के दो दर्जन से अधिक सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं और सांसद-विधायक रहे चुके हैं या हैं। इंडियन नेशनल लोकदल और जेजेपी भी इनके परिवार के सदस्यों की ही पार्टी है।
हरियाणा के दूसरे लाल बंसीलाल थे। बंसीलाल भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। इनके परिवार के भी एक दर्जन से अधिक सदस्य राजनीति में हैं। कई सदस्य सांसद-विधायक-मंत्री या किसी प्रमुख पद पर रहे हैं या हैं। राज्य के तीसरे लाल के रूप में मशहूर रहे भजनलाल भी राज्य के सीएम रह चुके हैं। इनके परिवार के भी एक दर्जन से अधिक सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं और प्रमुख पदों पर हैं या रहे हैं।
कब बना था हरियाणा राज्य? आज भी इन तीन लालों का ही चलता सिक्का
1966 में हरियाणा राज्य बना था। तबसे राज्य की राजनीति इन तीनों लालों के आसपास ही रही है जोकि अभी भी कायम है। हरियाणा में 5 अक्टूबर को चुनाव होने हैं। 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे। तीनों परिवारों के सदस्य बीजेपी, कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल, जननायक जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में किसी न किसी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हैं।
डबवाली में ताऊ के नातियों के बीच मुकाबला
सिरसा जिला भी राज्य के सबसे बड़े राजनैतिक परिवार में शामिल स्वर्गीय देवीलाल के परिवार के सदस्यों के बीच चुनावी रण का गवाह बनने जा रहा है। डबवाली सीट पर स्वर्गीय देवीलाल के पोते आदित्य चौटाला चुनाव मैदान में हैं। इंडियन नेशनल लोकदल ने उनको प्रत्याशी बनाया है। आदित्य चौटाला, देवीलाल के सबसे छोटे बेटे जगदीश चौटाला के बेटे हैं। वह बीजेपी छोड़कर इनेलो ज्वाइन किए हैं। चुनावी ताल ठोकने के पहले वह अपने चाचा पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। आदित्य चौटाला का मुकाबला, अपने भतीजा दिग्विजय सिंह चौटाला से है। दिग्विजय सिंह चौटाला, जेजेपी से प्रत्याशी हैं। वह पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के भाई हैं। दिग्विजय और दुष्यंत, पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला के बेटे हैं।
(Photo: पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल)
दादा और नाती के बीच रनिया में मुकाबला
सिरसा जिले की रनिया सीट भी पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के कुनबे के आमने-सामने होने से हाई-टैंपो वाला बन चुका है। यहां से पूर्व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। रणजीत चौटाला, हरियाणा सरकार में उर्जा मंत्री थे और टिकट नहीं मिलने से बीजेपी सरकार से इस्तीफा दिए हैं। वह देवीलाल के बेटे हैं। यहां उनका मुकाबला अपने परिवार के सदस्य और रिश्ता में पोते अर्जुन चौटाला से है। अर्जुन, पूर्व सांसद अभय सिंह चौटाला के बेटे हैं। वह इंडियन नेशनल लोकदल के प्रत्याशी हैं।
(Photo: पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल)
पूर्व सीएम स्वर्गीय भजनलाल का कुनबा भी मैदान में...
हिसार जिला में स्वर्गीय भजनलाल का कुनबा इस बार मुकाबला को रोमांचक बना रहा। आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने पूर्व सीएम के पोते भव्य बिश्नोई को प्रत्याशी बनाया है। भव्य, वर्तमान में भी आदमपुर से विधायक हैं। उनके पिता कुलदीप बिश्नोई भी बीजेपी में हैं।
(Photo: पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल)
पूर्व सीएम बंसीलाल की तीसरी पीढ़ी आमने-सामने
पूर्व सीएम बंसीलाल की तीसरी पीढ़ी राजनीति भी राजनीति में खासा प्रभाव जमा चुकी हैं। भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट पर पूर्व सीएम के पोते-पोती के बीच मुकाबला होने जा रहा है। बंसीलाल के एक बेटे रणवीर सिंह महेंद्र के बेटे अनिरुद्ध चौधरी तोशाम से प्रत्याशी हैं। अनिरुद्ध चौधरी, बीसीसीआई के पूर्व कोषाध्यक्ष भी हैं। स्वर्गीय बंसीलाल के दूसरे बेटे स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह की बेटी श्रुति चौधरी तोशाम से बीजेपी प्रत्याशी हैं। श्रुति चौधरी, सुरेंद्र चौधरी-किरण चौधरी की बेटी हैं। किरण चौधरी, कांग्रेस विधायक के रूप में इस सीट से चुनी गई थीं लेकिन बीजेपी ज्वाइन करने के बाद उनको राज्यसभा भेज दिया गया।
यह भी पढ़ें:
AAP ने हरियाणा में उतारे 20 प्रत्याशी, क्या फेल हो गई राहुल गांधी की पहल?