सार
23 अगस्त 2023 को शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की थी। जैसे ही ISRO चीफ एस सोमनाथ ने मिशन की सफलता का ऐलान किया दुनियाभर में मौजूद भारतीयों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। भारत ऐसा करने वाला पहला देश है।
नई दिल्ली. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक काम करने लगा है। विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सबसे लेटेस्ट और पहली तस्वीर भेजी है। 23 अगस्त 2023 को शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की थी। जैसे ही ISRO चीफ एस सोमनाथ ने मिशन की सफलता का ऐलान किया दुनियाभर में मौजूद भारतीयों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। भारत ऐसा करने वाला पहला देश है।
चंद्रयान-3 की चंद्रमा के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग- Chandrayaan 3 Lands On Moon, पढ़िए 10 फैक्ट्स
1. दुबई(UAE) में ग्लोबल बिजनेस फेडरेशन की अगुवाई में भारतीयों ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग का लाइव टेलिकास्ट देखा और जश्न मनाते हुए बधाइयां दीं। चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं ज्योतिषी डॉ. साहित्य चतुर्वेदी ने कहा कि भारत ने विश्व गुरु की प्रतिष्ठा फिर स्थापित की है । फेडरेशन के चेयरमैन चंद्र शेखर भाटिया ने भारतीय वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए सरकारी तंत्र की प्रशंसा की है। इंडिया क्लब के सांस्कृतिक डायरेक्टर नवीन शर्मा ने समस्त प्रवासी भारतीयों को इस उपलब्धि की बधाई दीं । भारत उत्सव के संयोजक डा. विकास भार्गव ने कहा कि आज हर घर में और हर हृदय में भारत के के लिए सम्मान जाग्रत हुआ है।
2. बेंगलुरु में इसरो के वॉर रूम में भारी उत्साह के बीच शाम 6.04 बजे टचडाउन हुआ, तो सोशल मीडिया पर बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई।
3.प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका से ऑनलाइन कार्यक्रम में शामिल हुए। पीएम वहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। मोदी ने कहा-"यह क्षण अनमोल और अभूतपूर्व है। यह क्षण नए भारत की विजय बिगुल की घोषणा करता है। यह क्षण 1.4 अरब हार्ट बीट्स की ताकत है।"
4. ISRO चीफ एस सोमनाथ ने कहा "आपकी प्रार्थनाओं, उत्साह और राष्ट्र के प्रति प्रेम के लिए सभी को धन्यवाद। यह सफलता आप सभी को समर्पित है। अगला मिशन गगनयान (ह्यूमन स्पेस फ्लाइट) है। हम इसे सितंबर या अक्टूबर के पहले सप्ताह में पूरा करने का लक्ष्य बना रहे हैं।"
5.विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग से काफी महीन धूल उड़ी। धूल छंटने के बाद ही रोवर प्रज्ञान को बाहर निकाला गया। इस प्रक्रिया में कुछ घंटे लगते हैं। पृथ्वी के विपरीत, चंद्रमा के कम गुरुत्वाकर्षण के कारण धूल चंद्रमा में नहीं जमती है।
6.लैंडिग के लिए जगह का चयन सावधानी से किया गया। जिस क्षेत्र में पानी के निशान मिले हैं, उसमें चंद्र जल बर्फ होने की उम्मीद है, जो एक बेहद मूल्यवान संसाधन हो सकता है। चंद्रमा की सतह पर पानी है, इसका पता 2009 में इसरो के चंद्रयान-1 से जुड़े नासा के एक उपकरण द्वारा लगाया गया था।
7. अब अगले 14 दिनों तक (एक मून-डे के बराबर) रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह से इमेजेज और डेटा भेजेगा। 14 दिनों के बाद, इसकी एक्टिविटी स्लो होने की संभावना है, क्योंकि यह सोलर सेल्स द्वारा संचालित है। मून रोवर लैंडर विक्रम और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के संपर्क में रहेगा। लैंडर इसरो को डेटा रिले करेगा, जिसका रोवर से कोई सीधा संबंध नहीं है।
8.चंद्रमा लैंडर को 14 जुलाई को एलवीएम 3 हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन पर लॉन्च किया गया था। इसे 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा(lunar orbit) में स्थापित किया गया था।
9. एक सीनियर जर्नलिस्ट पल्लव बागला का दावा है कि सफल लैंडिंग के बाद भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का नाम बदलकर 'चंद्र गंगोत्री' कर सकता है, जो देश के अंटार्कटिका मिशन दक्षिण गंगोत्री से प्रेरित है।
10.USSR/रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर रोवर उतारने वाला चौथा देश बन गया है। इसरो के पास कई प्रोजेक्ट हैं। इनमं एक सूर्य की स्टडी करने का मिशन और एक मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान है। सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली स्पेस-बेस्ड इंडियन आब्जर्वेटरी आदित्य-एल1 भी लॉन्चिंग के लिए तैयार हो रही है।
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