सार
NIA द्वारा प्रतिबंधित PLFI के स्वयंभू सुप्रीमो दिनेश गोपे उर्फ कुलदीप यादव उर्फ बड़कू की गिरफ्तारी के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। झारखंड के इस टॉप नक्सली कमांडर बड़कू के खिलाफ झारखंड, बिहार और ओडिशा में 102 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
नई दिल्ली. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) द्वारा प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) के स्वयंभू सुप्रीमो दिनेश गोपे उर्फ कुलदीप यादव उर्फ बड़कू की गिरफ्तारी के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। झारखंड के इस टॉप नक्सली कमांडर बड़कू के खिलाफ झारखंड, बिहार और ओडिशा में 102 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। एनआईए के एक प्रवक्ता ने 21 मई को जानकारी दी कि पीएलएफआई मुख्य रूप से झारखंड में सक्रिय है। यह माओवादियों से अलग होकर बना एक संगठन है।
PLFI कमांडर दिनेश गोपे की गिरफ्तारी और NIA की इन्वेस्टिगेशन
गोपे के खिलाफ झारखंड, बिहार और ओडिशा में जबरन वसूली, हत्या, धमकी, अपहरण और पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया के लिए धन जुटाने से संबंधित मामले दर्ज हैं। PLFI का गठन 2007 में झारखंड में हुआ था। यह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादियों का एक अलग समूह है। गोपे की गिरफ्तारी NIA की एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। गोपे की गिरफ्तारी की खबर एनआईए ने रविवार को दी थी। उसे नई दिल्ली से गिरफ्तार होना बताया गया है।
झारखंड में नक्सलवाद और कमांडर गोपे की कहानी
गोपे करीब दो दशक से फरार चल रहा था। एनआईए ने उस पर लीड के लिए 5 लाख रुपये के इनाम के अलावा, झारखंड सरकार ने उसे पकड़ने के लिए 25 लाख रुपये का इनाम भी जारी किया था।
गोपे की गिरफ्तारी पर एनआईए ने बयान दिया कि वो व्यवसायियों, ठेकेदारों और जनता को बड़े पैमाने पर आतंकित करने के लिए अपनी पीएलएफआई टीम के सदस्यों के माध्यम से पैसे वसूलता और हमलों को अंजाम देता था। जबरन वसूली की रकम को हवाला कारोबारियों के नेटवर्क के जरिए झारखंड से अन्य जगहों पर भेजा जा रहा था।
बंद हुए नोटों को बदलते थे झारखंड के नक्सली
गोपे और उसके सहयोगी चलन(demonetised) से बाहर हुए नोटों को एक बैंक खाते में जमा कराने और बाद में जबरन वसूली करने में शामिल थे। अवैध धन को गोपे के करीबी सहयोगियों और परिवार के सदस्यों के नाम पर बैंकिंग चैनलों और संदिग्ध शेल कंपनियों के माध्यम से निवेश किया गया था।
NIA के अनुसार, पीएलएफआई बेरोजगार युवकों को मोटरबाइक, मोबाइल फोन और आसानी से पैसे देकर फुसलाता था। ट्रेनिंग देने के बाद उन्हें आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए घातक हथियारों से लैस करता था।
पीएलएफआई की इनकम का प्रमुख सोर्स झारखंड के विभिन्न जिलों में विकास परियोजनाओं में शामिल कोयला व्यापारी, रेलवे ठेकेदार और विभिन्न निजी संस्थाएं थीं। यह संगठन उन्हें टार्गेट करता था। जबरन वसूली गई रकम का इस्तेमाल एके 47 सहित जटिल हथियारों और एचके 33 जैसी विदेशी राइफलों की खरीद के लिए किया गया था।
दिल्ली से रांची लाया गया नक्सली कमांडर गोपे
नक्सली कमांडर दिनेश गोपे को एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद रविवार को फ्लाइट के जरिये रांची लाया गया। 3 फरवरी, 2022 को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदरी थाना क्षेत्र के वन क्षेत्र में गोपे के नेतृत्व वाले पीएलएफआई दस्ते और सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ हुई थी।
यह भी पढ़ें