सार
इस तस्वीर ने एक बार फिर झारखंड में गरीब बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन के लिए 'जलील और परेशान' करने का मामला उजागर किया है। लातेहार की लाचार वृद्ध लालो कारवाईन को बैंक वालों ने 'सिस्टम' का हवाला देकर इतने चक्कर कटवाए कि उसके आंसू निकल पड़े।
रांची. इस तस्वीर ने एक बार फिर झारखंड में गरीब बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन के लिए 'जलील और परेशान' करने का मामला उजागर किया है। लातेहार की लाचार वृद्ध लालो कारवाईन को बैंक वालों ने 'सिस्टम' का हवाला देकर इतने चक्कर कटवाए कि उसके आंसू निकल पड़े। उनका पति और बेटा उन्हें डलिया में बैठाकर लगातार 5 दिन ऐसे ही बैंकिंग सिस्टम प्रज्ञा केंद्र लेकर गए। बैंक भी 7 किमी दूर है।
झारखंड में वृद्ध पेंशन को लेकर बुजुर्गों की फजीहत, टोकरी में बैंक सेंटर लेकर पहुंचा पति-बेटा
लालो की ऐसी तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं, तो सरकारी व्यवस्थाओं पर लोग सवाल उठाने लगे। मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंचा। उनके आदेश के बाद महिला को पेंशन मिल गई। अब हर महीने लालो को बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंस के जरिये पेंशन ट्रांसफर की जाएगी। यानी उन्हें अकारण बैंक आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद बाकी लोगों को भी विभिन्न सरकारी योजनाओं से ऑनलाइन जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
लालो लातेहार के महुआआडांड़ स्थित ग्वालखाड़ गांव की रहने वाली हैं। वे अपने बेटों की मदद से 5 दिनों से प्रज्ञा केंद्र के चक्कर काट रही थीं। बायोमेट्रिक ठीक से काम नहीं करने के कारण उनकी पेंशन नहीं मिल पा रही थी। ऐस में उनके पति देवा कोरवा और बेटा सुंदरलाल उन्हें टोकरी में बैठाकर रोज प्रज्ञा केंद्र ला रहे थे। लालो चलने में असमर्थ हैं।
देवा का कहना था कि प्रज्ञा केंद्र वाले बता रहे थे कि भारतीय स्टेट बैंक का सर्वर डाउन है, इस वजह से पेंशन मिलने में दिक्कत है। सुंदरलाल ने बताया कि उनके गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है। ऐसे में वे 4-5 महीने में एक बार डलिया(बहंगी) में बैठाकर 64 साल की अपनी मां को पेंशन लाने ले जाते हैं। लेकिन इस बार ज्यादा चक्कर कटवा दिए।
ओडिशा में पेंशन लेने टूटी कुर्सी के सहारे बैंक पहुंची 70 साल की महिला, देखें शॉकिंग वीडियो
यह मामला अप्रैल में ओडिशा के नबरंगपुर में सामने आया था। 70 वर्षीय बुजुर्ग को पेंशन लेने के लिए भीषण गर्मी में कई किलोमीटर टूटी कुर्सी के सहारे पैदल चलने को मजबूर करने के वीडियो ने प्रशासन की किरकिरी करा दी थी। झरीगन ब्लॉक के बनुआगुड़ा गांव की सूर्या हरिजन इस तरह पेंशन लेने जाती थीं। क्लिक करके पढ़ें पूरी डिटेल्स..
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