सार
Maharashtra crisis: महाराष्ट्र में अगले मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस गहराया हुआ है। मान-मनौव्वल का भी दौर चल रहा है तो साथ ही शपथ ग्रहण की तैयारियां भी चल रही है। मंगलवार को हास्पिटल से डिस्चार्ज होकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकारी आवास वर्षा पहुंचे। देर शाम को बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने उनसे मुलाकात की है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद महायुति सरकार बनाने में संभावित गतिरोध कम होने की संभावना है।
देवेंद्र फडणवीस-एकनाथ शिंदे मुलाकात के मायने
दरअसल, गुरुवार को अमित शाह के साथ एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार की चली कई घंटों की मीटिंग के अगले दिन विधायक दल की मीटिंग बुलाई गई थी। लेकिन मीटिंग रद्द करते हुए शिंदे अचानक अपने गांव सतारा चले गए। वह कई दिनों से सतारा गांव में ही हैं। उनके मुंबई नहीं आने की वजह से बीजेपी विधायक दल की मीटिंग बार-बार टाली जा रही है। शनिवार को अचानक राजनीतिक पारा चढ़ा जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने महाराष्ट्र की नई सरकार के सीधे शपथ ग्रहण की तारीख तय करने हुए ऐलान किया कि 5 दिसंबर को शाम पांच बजे शपथ होगा। नए नेता का चुनाव नहीं होने और शपथ की तारीख तय होने से तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे।
शपथ की तारीख तय होने के बाद महायुति के गठबंधन में शामिल एनसीपी नेता अजीत पवार ने यह दावा कर एकनाथ शिंदे को दरकिनार कर दिया कि बीजेपी से ही अगला मुख्यमंत्री होगा। सोमवार को अजीत पवार दिल्ली जाकर शीर्ष नेताओं से मुलाकात किए तो एकनाथ शिंदे गांव में इलाज कराने के बाद अस्पताल में भर्ती हो गए थे।
मंगलवार को शिंदे अस्पताल से डिस्चार्ज होकर मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। इसके बाद उनसे मिलने निवर्तमान डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पहुंचे। दोनों नेताओं ने काफी देर तक मुलाकात की। माना जा रहा है कि फडणवीस नाराज शिंदे को मनाने पहुंचे थे। हालांकि, यह साफ नहीं हो सका है कि शिंदे की नाराजगी दूर हुई है या नहीं।
बीजेपी के दो पर्यवेक्षक करेंगे निर्णय
भारतीय जनता पार्टी विधायक दल की मीटिंग बुधवार को होगी। पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी नए नेता के चुनाव में मौजूद रहेंगे। माना जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस की महाराष्ट्र में बीजेपी ताजपोशी कराएगी लेकिन अन्य राज्यों में बीजेपी के फैसलों को देखकर किसी नए चेहरे के सामने आने से इनकार नहीं किया जा सकता है। सबकी निगाहें बीजेपी विधायक दल की होने वाली मीटिंग में टिकी है। उधर, यह भी माना जा रहा है कि शिवसेना विधायकों की मीटिंग एकनाथ शिंदे उसके पहले कर सकते हैं।
बार-बार नाराजगी के संकेत दे रहे शिंदे
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी का मुख्यमंत्री होने के दबाव से नाराज हैं। वह मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ना चाहते लेकिन महायुति में किसी प्रकार के मतभेद को सार्वजनिक भी नहीं करना चाहते हैं। हालांकि, शिंदे की नाराजगी की वजह से एक सप्ताह से अधिक समय हो गए विधानसभा परिणाम आए लेकिन नई सरकार नहीं बन सकी है जबकि महायुति के पास प्रचंड बहुमत है। वैसे शिंदे अपनी नाराजगी के लगातार संकेत दे रहे हैं। शाह के साथ मीटिंग के अगले दिन वह अपने गांव सतारा चले गए जिससे महायुति के सीएम का चुनाव नहीं हो सका। वह गांव से लौटे तो भी अस्पताल में भर्ती रहे। मंगलवार को अस्पताल से मुख्यमंत्री आवास पहुंचे तो बीजेपी नेता उनसे मिलने पहुंचने लगे।
उधर, शिवसेना नेता दीपक केसरकर ने भाजपा को याद दिलाया है कि चुनाव श्री शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया था। अब यह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर है कि वह उनके कद को कैसे बनाए रखे।
बीजेपी ने पुराना फार्मूला अपनाया
बीजेपी का कहना है कि वह पुराने फार्मूले पर सरकार बनाएगी। महायुति में बीजेपी का सीएम होगा और दोनों सहयोगी दलों शिवसेना व एनसीपी का एक-एक डिप्टी सीएम। एनसीपी से अजीत पवार तो डिप्टी सीएम बनने को राजी हैं लेकिन अभी तक शिवसेना का रूख स्पष्ट नहीं हो सका है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे वर्तमान में सीएम हैं। वह देवेंद्र फडणवीस की तरह सीएम पद संभालने के बाद डिप्टी सीएम बनना स्वीकार करेंगे या नहीं यह साफ नहीं है। कुछ सूत्रों का दावा है कि वह अपने सांसद बेटे को डिप्टी सीएम के लिए आगे कर सकते हैं और खुद केंद्र सरकार में समायोजित हो सकते। बहरहाल, 5 दिसंबर को होने वाले शपथ ग्रहण में कुछ घंटे शेष है। बीजेपी विधायक दल की होने वाली मीटिंग के बाद स्थितियां काफी हद तक साफ होने की आशा है।
महायुति के पास एकतरफा बहुमत
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट 23 नवम्बर को सामने आए थे। 288 सीटों में महायुति में शामिल रही बीजेपी को 132 सीटें मिली है। जबकि शिवसेना शिंदे के पास 57 और अजीत पवार की एनसीपी के पास 41 सीटें हैं। बहुमत का मैजिक नंबर 145 पहुंचने के लिए बीजेपी को अपने दोनों सहयोगियों में किसी एक का भी साथ चाहिए। हालांकि, बीजेपी जनता में ऐसा संदेश नहीं देना चाहती कि वह चुनाव बाद सरकार बनाने के लिए अपने किसी सहयोगी को छोड़ दी। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो शिंदे के पास भी बहुत दबाव बनाने वाले नंबर है। ऐसे में वह बहुत सौदेबाजी करने की स्थिति में नहीं है।
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