सार
दौसा। एक चौंकाने वाले मामले ने जिले में हलचल मचा दी है, जहां सरकारी अस्पताल में महिला की नसबंदी प्रक्रिया विफल हो गई। इस गंभीर लापरवाही के खिलाफ महिला ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और मुआवजे की मांग की। यह मामला सरकारी चिकित्सा सेवा की कार्यप्रणाली और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
यह मामला 6 दिसंबर 2022 का है, जब दौसा जिले के लालसोट थाना क्षेत्र की एक महिला ने सरकारी अस्पताल में नसबंदी करवाई थी। महिला को 12 जनवरी 2023 को नसबंदी का प्रमाण पत्र भी दिया गया था। लेकिन अप्रैल 2023 में उसे पेट में दर्द की शिकायत हुई, और सोनोग्राफी जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि वह गर्भवती है।
महिला ने इस पर डॉक्टर से शिकायत की, लेकिन डॉक्टर ने इसे नकारते हुए कहा कि ऑपरेशन सही ढंग से किया गया था। इसके बाद, महिला को अगस्त 2023 में चौथे बच्चे को जन्म देना पड़ा।
तीन बच्चों की मां, चौथे बच्चे के जन्म के कारण होने वाले मानसिक और आर्थिक बोझ से परेशान थी। इस लापरवाही के लिए महिला ने न्यायालय का रुख किया और चिकित्सा विभाग से मुआवजे की मांग की। मुंसिफ मजिस्ट्रेट कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए चिकित्सा विभाग को 70 हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया। चिकित्सा विभाग ने 30 हजार रुपए तो जमा कर दिए, लेकिन बाकी के 40 हजार रुपए का भुगतान करने में आनाकानी की।
सरकारी संपत्ति हो गई कुर्क
जब मुआवजा राशि का पूरा भुगतान नहीं किया गया, तो कोर्ट ने सरकारी संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिए। 3 जनवरी 2024 को कोर्ट की टीम दौसा के सीएमएचओ कार्यालय पहुंची, लेकिन वहां अधिकारी मौजूद नहीं थे और सरकारी गाड़ियां भी गायब पाई गईं। कोर्ट ने अब 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया है। अगर मुआवजा नहीं दिया गया, तो अगले कदम के रूप में और सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
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