सार
होली के पर्व पर कहीं भक्त प्रहलाद की सवारी निकाली जाती है तो कहीं जुलूस निकाला जाता है और कहीं मातम मनाया जाता है। लेकिन राजस्थान के जालौर में होली के पर्व पर लोक देवता की बारात निकल जाती है।
जालौर (राजस्थान). होली का पर्व कल पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इसके बाद 25 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा। राजस्थान में भी कई इलाकों में होली का पर्व अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। कहीं प्रहलाद की सवारी निकाली जाती है तो कहीं जुलूस निकाला जाता है और कहीं मातम मनाया जाता है। लेकिन राजस्थान के जालौर में होली के पर्व पर लोक देवता की बारात निकल जाती है।
होली दहन से पहले निकाली जाती है बारात
दरअसल जालौर के लोक देवता इलोजी महाराज की होलिका दहन होने से पहले बारात निकाली जाती है। लेकिन जब तक बारात होली चौक पहुंचती है उसके पहले ही होलिका दहन कर लिया जाता है। ऐसे में वह शादी अधूरी मानी जाती है।
होली पर बारात की प्रहलाद वाली कहानी
इस बारात में लोक देवता का रूप धारण करने वाला कोई युवक ही होता है। जिसे दूल्हे की तरह सजाकर उसकी बारात निकाली जाती है। पूरे साहिल आवाज में के साथ यह बारात शहर के मुख्य इलाकों से होकर गुजरती है। इसके पीछे एक मान्यता जुड़ी है कि इलोजी लोक देवता हिरण्यकश्यप की बहन की से प्रेम करते थे। एक तरफ तो शादी की तैयारी चल रही थी और दूसरी तरफ हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद को मारने की साजिश रच रहा था।
फिर पूरे जीवन शादी नहीं करने का करते वादा
आखिरकार उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली और भाई के कहने पर होली का अपने भतीजे प्रहलाद को जलाने के लिए उसे लेकर आग में बैठ गई जिससे उसकी मौत हो गई। ऐसे में इलोजी को रास्ते में होली का के मौत की खबर मिलती है। इसके बाद वह जाकर अपनी पत्नी का जला हुआ शरीर देखते हैं और फिर उसकी राख को अपने शरीर पर लगाकर पूरे जीवन शादी नहीं करते। इसी मान्यता को लेकर आज भी जालौर में यह बारात निकाली जाती है।