सार

राजस्थान में चुनावी साल होने के चलते कांग्रेस ने अपनी सरकार रिपीट करने की पुख्ता तैयारी कर रही है। इसी के चलते सीएम गहलोत और प्रदेश प्रभारी के सामने मंत्री विधायकों से यह 13 सवाल पूछे जा रहे। वहीं अनशन के बादपायलट ने फिर से कर दी दूसरी अनुशासनहीनता।

जयपुर (jaipur). खबर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे से है। सीएम के सामने राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा 1-1 मंत्री और विधायक से 13 सवाल पूछ रहे हैं। उन्हें सवालों का खाका दे दिया गया है और इसमें जवाब भरने के लिए कहा गया है। मंत्री और विधायकों के अलावा वह नेता भी शामिल है जो पिछले चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर खड़े हुए थे लेकिन जीत नहीं सके। पूरे राजस्थान में यह वन टू वन प्रोग्राम आज से शुरू हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस प्रोग्राम में फिलहाल सचिन पायलट ने अपनी मौजूदगी नहीं दर्ज कराई है। उन्होंने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया है और ना ही वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या प्रदेश प्रभारी रंधावा से मिले हैं।

चुनाव जीतने के लिए है पूरी तैयारी

दरअसल यह सारी प्रक्रिया पार्टी के नेताओं को चुनाव के लिए तैयार करने के लिए शुरू की गई है। उन्हें पूछा जा रहा है अपने अपने क्षेत्र में कितने एक्टिव हैं, इस बारे में जांच पड़ताल की जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि यह सिर्फ एक संवाद का कार्यक्रम है। हम यह परख रहे हैं कि पार्टी के नेताओं की क्या स्थिति है।

नेता मंत्रियों से  उनके जीत की प्लानिंग पूछी

प्रदेश प्रभारी रंधावा का कहना है कि कुछ नेता अपने क्षेत्र में रेगुलर जा रहे हैं,उनकी स्थिति अच्छी है। लेकिन कुछ काफी समय से एक्टिव नहीं है, हमने नेताओं से उनके सोशल मीडिया स्टेटस के बारे में पूछा है कि वह कितने एक्टिव हैं और हर रोज कितनी पोस्ट करते हैं। यह भी जानकारी जुटा रहे हैं कि उनके क्षेत्र में जातिगत समीकरण क्या है, सबसे बड़ा और अहम सवाल यह है कि वह अपने क्षेत्र में जीत दर्ज कैसे कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार विधानसभा क्षेत्रों का बंटवारा और ज्यादा किया जा सकता है, क्योंकि राजस्थान सरकार ने 19 नए जिले बनाए हैं।

अनुशासनहीनता मामले में नहीं बोल रहे कुछ भी

अब सबसे बड़ी और अहम बात वह यह है कि पार्टी ने फिलहाल सचिन पायलट के अनशन वाले अनुशासनहीनता मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है, ना तो अशोक गहलोत और ना ही प्रदेश प्रभारी रंधावा इस बारे में बातचीत करने को तैयार है। उनका कहना है कि फिलहाल इस मामले में अभी ज्यादा जानकारी नहीं दी जा सकती, लेकिन पार्टी इस मामले को भी देख रही है ।

सचिन पायलट ने फिर की अनुशासनहीनता

उल्लेखनीय है कि 1 सप्ताह पहले सचिन पायलट ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ अनशन किया था। पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता कहा था, लेकिन उन पर 1 सप्ताह में भी कोई एक्शन नहीं लिया गया है। एक अनुशासनहीनता करने के बाद अब पायलट ने दूसरी अनुशासनहीनता यह कर दी है कि उन्होंने पार्टी की ओर से शुरू किए गए विधायक और नेताओं के संवाद कार्यक्रम को स्किप कर दिया है ,यानी वे इसमें शामिल नहीं हुए हैं।

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