सार

राजस्थान में पुलावामा में अपनी जान गंवाने वाले जाबांज सैनिकों की पत्नियों को गहलोत सरकार से अपने हक पाने के लिए पुलिस के डंडे तक खाने पड़ रहे है। हालांकि अब इनके पक्ष में बीजेपी भी उतर आई है। इसी बीच जानिए तीनों जवानों और उनके परिवार के बारे में।

जयपुर (jaipur news). धरना खत्म होने के बाद वीरांगनाओ और किरोड़ीलाल मीणा के साथ हुई बदसलूकी को लेकर अब राजस्थान में सियासत पूरी तरह से गरमा चुकी है आज राजधानी जयपुर में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हो गई। जयपुर में हो रहे प्रदर्शन के पुलिस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। आक्रोशित लोगों ने पुलिस की गाड़ियों पर पथराव भी कर दिया।

चोटिल हो गए बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष फिर भी धरने पर बैठे

सांसद के साथ हुई बदसलूकी के बाद भाजपा समर्थित कई विधायक की सड़कों पर लेट कर प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के पैर में चोट लग चुकी है। इसके बावजूद अभी भी हजारों कार्यकर्ता सड़कों पर ही बैठे हुए हैं। लेकिन सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई भी बयान नहीं दिया गया है। यह सियासत गरमाने के बाद अब राजस्थान में एक बार फिर पुलवामा का मुद्दा उठ चुका है। तो अब जानते हैं राजस्थान के इन पुलवामा शहीद और उनके परिवार की कहानी...

जानते हैं राजस्थान के इन पुलवामा शहीद और उनके परिवार की कहानी...

सबसे पहली बात राजधानी पुलवामा हमले में जान गंवाने वाले रोहिताश लांबा की। इनका जन्म 14 जून 1991 को गोविंदपुर बांसुरी में हुआ। इन्होंने स्कूल की शिक्षा कब अपने गांव से ही ली। इसके बाद साल 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हो गए। छोटी सी उम्र में सीआरपीएफ में नौकरी लगने के बाद रोहिताश ने गांव के कई युवाओं को सीआरपीएफ सहित अन्य सैन्य टुकड़ियों की तैयारियों में लगा दिया। नतीजा निकला कि आज उनके गांव में करीब आधा दर्जन युवा सैनिक बन चुके हैं। रोहिताश लांबा शहीद हुए तो उस दिन गांव का मंजर इतना खतरनाक था कि गांव का एक भी आदमी पूरी रात सोया नहीं। क्योंकि 1 महीने पहले ही रोहिताश गांव से छुट्टी बिताकर गया था।

दूसरा जवान एजुकेशन सिटी कोटा से

अब बात राजस्थान की एजुकेशन सिटी कही जाने वाली कोटा के हेमराज मीणा की। जो शहीद होने से पहले जब आखरी बार घर आए तो कह कर गए थे कि 20 दिन में ही छुट्टी लेकर वापस आ जाएंगे। इसके बाद पूरे परिवार को घुमाने लेकर जाएंगे। हेमराज के दो बेटे और दो बेटियां हैं। इनमें एक बेटी को छोड़ दे तो अन्य सभी अपनी स्कूलिंग ही कर रहे हैं। वही जब हेमराज शहीद हुए उससे ठीक महीने बाद उनकी रिटायरमेंट होनी थी।

तीसरा जवान भरतपुर जिले से

अब बात तीसरे जवान जीतराम गुर्जर की। जो मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर जिले की नगर तहसील के रहने वाले थे। पुलवामा हमले में जान जाने से 2 दिन पहले ही वह ड्यूटी पर लौटे थे। हेमराज के दो बच्चे हैं जिनकी उम्र अभी फिलहाल 4 साल से भी कम है।

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