सार

राजस्थान में जोधपुर की बेटी मंजू ने रूस में आयोजित वुशु इंटरनेशनल चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल जीत लिया है। यह कमाल उसने अपने पिता के सपने के लिए किया है। क्योंकि पिता भी नेशनल प्लेयर हैं, लेकिन एक्सीडेंट के बाद वो बेड पर हैं।

जोधपुर. हाल ही में राजस्थान के जोधपुर जिले की बेटी मंजू ने रूस में आयोजित एक इंटरनेशनल वूशु चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। यह गोल्ड मेडल मंजू ने अपने करियर के लिए नहीं बल्कि 2 साल से बेड रेस्ट कर चल रहे अपने पिता का नाम रोशन करने के लिए जीता है। जो खुद भी एक नेशनल प्लेयर है। इतना ही नहीं मंजू ने यह मेडल जीतने के लिए इंडोनेशिया, कजाकिस्तान जैसी टीमों को हराया है जो इस गेम में बादशाह है मानी जाती है।

पिता एथलीट और वॉलीबॉल के नेशनल प्लेयर तो बेटी वूशु चैंपियन

दरअसल मंजू का परिवार खेलों से ही हमेशा जुड़ा रहा है। जिसके पिता भगाराम राजस्थान पुलिस के नेशनल लेवल के वॉलीबॉल प्लेयर रह चुके हैं। इसके अलावा मंजू की बड़ी बहन सुनीता और भाई ओमप्रकाश एथलीट और वॉलीबॉल के नेशनल प्लेयर है। इससे पहले भाई गौतम स्टेट लेवल का मेडल जीत चुका है।

पिता के सम्मान के लिए बेटी ने विदेश में जीता गोल्ड

आपको बता दें कि मंजू के पिता भगाराम का 2 साल पहले एक्सीडेंट हो गया था। उसके बाद से वह ना तो चल पाते और ना कुछ बोल पाते हैं। लेकिन बावजूद इसके मंजू ने एक कदम भी पीछे नहीं हटाया और अपने नेशनल खिलाड़ी पिता के सम्मान के लिए लगातार प्रैक्टिस करे यह मेडल जीत लिया है।

वूशु चैंपियन बेटी का आसान नहीं था यहां तक का सफर

मंजू के कोच विनोद बताते हैं कि जब मंजू ने यह गेम खेलना शुरू किया तो उसका वजन करीब 90 किलो के लगभग था लेकिन मंजू ने यह गेम खेलने के लिए अपना वजन करीब 20 किलो कम किया। ऐसे में उसका वजन करीब 70 किलोग्राम हो चुका है। इसके अलावा मंजू का चयन खेलो इंडिया गेम्स में मुक्केबाजी के लिए भी हुआ। वही आपको बता दें कि मंजू पिछले 7 सालों में कई नेशनल और इंटरनेशनल मेडल जीत चुकी है।

माता-पिता ने खेलों के लिए समर्पित कर दिया पूरा जीवन

अपनी जीत का श्रेय मंजू अपने परिवार वालों को देती है। जिनका कहना है कि मां और पिता ने हमेशा खेलों के प्रति समर्पित रखा ऐसे में बचपन से ही खेलों से जुड़ाव हो गया अब आगे भी वह परिवार का नाम रोशन करने के लिए इसी तरह मेडल जीतते जाएगी।