सार

राजस्थान चुनाव संपन्न हो चुका है और इस बार भी 74 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई है। पिछले चुनाव से इस बार 9 फीसदी मतदान अधिक हुआ है ऐसे में इसका लाभ किसे मिलेगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

जयपुर। राजस्थान चुनाव 2023 शनिवार को संपन्न हो गया। राजनेताओं की महीने भर से चल रही रैलियां और सभाओं के बाद जनता ने अपनी सरकार चुनने के लिए मतदान कर दिया है। अब कुल 1863 प्रत्याशियों कि किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। तीन दिसंबर को मतपत्रों की काउंटिंग के बाद इनकी जीत हार के फैसले के साथ राजस्थान की नई सरकार तय होगी। हालांकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपनी जीत को लेकर दावा कर रही हैं। 

पिछली बार से 0.9 फीसदी अधिक वोटिंग
शनिवार को राजस्थान में 52 हजार मतदान केंद्रों पर प्रदेश की 74 फीसदी से अधिक जनता ने अपना वोट डाला। इस बार 199 सीटों पर चुनाव में कुल 74.96 फीसदी वोटिंग हुई। वहीं राज्य में पोलिंग बूथों 74.13 प्रतिशत मतदान किए गए। बाकी के 0.83 मतदान पोस्टल और होम वोटिंग के जरिए किए गए। पिछली बार 2018 के चुनाव में राज्य में 74.06 प्रतिशत मतदान हुआ था। यानी इस बार 0.9 फीसदी मतदान अधिक हुआ है। 

हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड
राजस्थान में चुनावी परंपरा या 20 सालों का ट्रेंड देखें तो यहां हर पांच साल में सरकार बदल जाती है। इस लिहाज से भाजपाई काफी आश्वस्त हैं कि राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनेगी। हांलाकिं ये भी आंकड़ा सामने आता है कि जब भी वोटिंग प्रतिशत में गिरावट आई है तो फायदा कांग्रेस को मिला है औऱ बढ़ने पर भाजपा के हक में फैसला रहा है। लेकिन इससे इतर कांग्रेस के सीएम और जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत का दावा है कि कांग्रेस की सरकार फिर रिपीट हो रही है। ऐसे में ज्यादा वोटिंग होने का लाभ किस पार्टी को मिलेगा यह आने वाला वक्त ही तय करेगा। 

सीएम फेस पर दोनों ही पार्टियों में संशय
कांग्रेस या भाजपा दोनों ही पार्टियों में अभी तक सीएम फेस को लेकर संशय बना हुआ है। कांग्रेस में यूं तो अशोक गहलोत को ही पोस्टरों में बड़ा दिखाया जा रहा है, लेकिन सचिन पायलट के दो अर्थी बयानों से माजरा कुछ और ही नजर आता है। वहीं भाजपा में भी सीएम फेस तय नहीं है। कभी वसुंधरा राजे का नाम सामने आता है तो कभी दीया कुमारी की चर्चा होने लगती है।

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