सार
भीलवाड़ा. करीब आज से 5 या 6 दशक पहले देश में भगवान खाटूश्याम के कुछ ही मंदिर हुआ करते थे। लेकिन अब भगवान की बढ़ती लोकप्रियता के चलते लोग जगह-जगह बाबा की प्रतिमा लगाकर मंदिरों का निर्माण करवा रहे हैं। हर मंदिर की आस्था ऐसी है कि वहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। ऐसा ही एक मंदिर भीलवाड़ा के काशीपुरी इलाके में बना हुआ है।
बाबा के श्रंगार के लिए दिल्ली और मुंबई से आते हैं फूल
करीब 26 साल पहले बने इस मंदिर में हजारों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। एकादशी के मौके पर यहां बाबा का विशेष श्रृंगार होता है। दिल्ली और मुंबई से आने वाले फूलों का श्रृंगार होता है। इसके साथ ही मंदिर में पांच समय की आरती होती है। यदि कोई सीकर में स्थित खाटूश्याम के दर्शन करने नहीं जा पाता तो वह यहां आकर भी दर्शन कर सकता है।
रींगस से खाटू तक पदयात्रा करते हैं भक्त
इस मंदिर का निर्माण किसी ट्रस्ट के द्वारा नहीं बल्कि पांच भक्तों के द्वारा करवाया गया। जिनकी मनोकामना पूरी हुई तो उन्होंने भीलवाड़ा में मंदिर की स्थापना करवाई और 26 साल से यहां लगातार बाबा की पूजा हो रही है। हर साल यहां के भक्त रींगस से खाटू तक पदयात्रा करने के लिए भी जाते हैं।
मोर पंख के आशीर्वाद से लोगों की पूरी होती है मनोकामना
इस मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि यहां मंदिर में पुजारी के द्वारा लगाए जाने वाले मोर पंख के आशीर्वाद से लोगों की मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर में लगाई गई मूर्ति बिल्कुल सीकर में स्थित खाटूश्याम मंदिर की तरह नजर आती है।आपको बता दें कि केवल भीलवाड़ा में ही नहीं बल्कि राजस्थान और देश में अलग-अलग जगह पर भगवान खाटूश्याम के मंदिर बने हुए हैं। लेकिन खाटू में आयोजित होने वाले वार्षिक में के दौरान हर जगह से भक्त दर्शन करने के लिए खाटूआते हैं।