सार

प्रयागराज कुंभ में एक नाला चर्चा का विषय बना हुआ है। हाईटेक तरीके से इसे झरने का रूप दिया गया है, जो लोगों को आकर्षित कर रहा है। लेकिन क्या ये असली झरना है?

प्रयागराज। 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है। महाकुंभ में देश और दुनियाभर से जुड़े लोग इक्ट्ठा होते हैं। प्रयागराज में इसका आयोजना किया जाता है। इस दौरान लोगों को अलग-अलग चीजे देखने का भी मौका मिलता है। कुछ चीजें ऐसी होती है जोकि चर्चा का विषय बन जाती है। ऐसे ही महाकुंभ का एक झरना इस वक्त लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां पर एक नाले के पानी का इस्तेमाल हाईटेक तरीके से किया गया है। देखने में ये आपको एक प्राकृतिक झरने की तरह नजर आएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। यह कोई प्राकृतिक झरना नहीं बल्कि गंगा यमुना में मिलने वाला नाले का पानी है जिसे शासन प्रशासन ने हाईटेक बना दिया है जो यहां आने वाले लोगों के लिए चर्चा का विषय बन चुका है।

प्रयागराज के अरैल क्षेत्र में अदानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की ओर से तैयार किए गए साले को पर्यावरण के अनुसार बनाया जा रहा है। फिलहाल यह पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है। महाकुंभ की वजह से सामान लाने में समस्या हो रही थी, इसलिए फिलहाल महाकुंभ तक के लिए इसके बाकी निर्माण कार्य को रोक दिया गया है। महाकुंभ के बाद इसे पूरा किया जाएगा। यहां की देखरेख करने वाले राम निहोर ने बताया कि पूरे नैनी एरिया के गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लांट में लेकर शुद्ध किया जाता है उसके बाद ही इसे गंगा यमुना में छोड़ा जाता है इसे नाले की जगह प्राकृतिक झरने का रूप इसलिए दिया गया है ताकि लोग इसे देखें, समझे और जाने।

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गंदे नाली के पानी को लेकर उठता है सवाल

इस कड़ाके की ठंड में आस्था की अलख लिए गंगा यमुना मदरसे सरस्वती की संगम तट पर महाकुंभ पर्व 2025 में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का आना 13 जनवरी से शुरु हो जाएगा। स्नान के दौरान ये सवाल हमेशा उठते थे कि गंगा यमुना में गंदी नाले का पानी डाला जा रहा है जिसे लोगों की आस्था को चोट पहुंचती थी। ऐसे में इस समस्या को खत्म करते हुए रेल क्षेत्र की सबसे बड़े नाले को नया रूप दिया गया है। इसके चलते पानी पूरी तरह से साफ हो जाता है।

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