सार
वाराणसी। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के एक 6 साल पुराने नोटिस को लेकर तनाव बढ़ गया है। नोटिस में दावा किया गया है कि 115 साल पुराने उदय प्रताप कॉलेज के कैम्पस में स्थित मस्जिद और उसकी जमीन वक्फ की है। इसके चलते शुक्रवार को दो पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया।
कॉलेज मैनेजमेंट ने सुन्नी बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए एक पखवाड़े के भीतर नोटिस का जवाब दिया था। अब 6 साल बाद शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए कॉलेज परिसर में सामान्य से अधिक संख्या में लोग जुट गए। इसके बाद तनाव पैदा हो गया। कॉलेज के एक कर्मचारी ने कहा कि यहां आमतौर पर 10-15 लोग नमाज अदा करने आते थे, लेकिन शुक्रवार को करीब 300 लोग जुट गए। छात्र संघ सदस्यों ने खबर दी तो पुलिस तुरंत कॉलेज पहुंची। तब तक दोनों पक्षों की ओर से झड़प हो गई। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस के जवानों को तैनात किया गया।
2018 में वक्फ बोर्ड ने कॉलेज को भेजा था नोटिस
एडीसीपी टी सर्वनन ने कहा कि इलाके में स्थिति शांतिपूर्ण है। संबंधित नोटिस 2018 का है। कॉलेज प्रशासन ने सबूतों के साथ नोटिस का जवाब दिया था। प्रिंसिपल डी के सिंह ने कहा कि वक्फ बोर्ड ने 6 दिसंबर 2018 को कॉलेज को नोटिस भेजा था। कॉलेज के तत्कालीन सचिव ने 21 दिसंबर 2018 को जवाब भेजा। इस जवाब के बाद सुन्नी बोर्ड की ओर से कोई और पत्र नहीं मिला। अवांछनीय तत्वों ने मस्जिद में कुछ निर्माण कार्य करवाने की कोशिश की थी। हमने पुलिस की मदद से निर्माण सामग्री हटवा दिया था। दरगाह की बिजली काट दी गई थी। कॉलेज से बिजली चोरी हो गई थी।
दूसरी ओर मस्जिद समिति के सदस्य मुनव्वर सिराज ने कहा कि कॉलेज परिसर की मस्जिद और उसकी जमीन वक्फ की संपत्ति है। छोटी मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वक्फ बोर्ड ने कॉलेज की पूरी जमीन पर दावा किया है। उन्होंने कहा कि मस्जिद जहां स्थित है उसका केवल एक छोटा हिस्सा वक्फ की संपत्ति है। यहां स्थानीय लोग नमाज अदा करते हैं। कॉलेज प्रशासन को नमाज अदा करने पर आपत्ति नहीं है।
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