सार
एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ‘‘वोडाफोन आइडिया ने परिचालन में बने रहने के लिये सरकार से कई मांगें की है। कंपनी चाहती है कि एक अप्रैल 2020 से मोबाइल डेटा का शुल्क न्यूनतम 35 रुपये प्रति गीगाबाइट (जीबी) तथा न्यूनतम 50 रुपये का मासिक कनेक्शन शुल्क निर्धारित हो। ये काफी कठिन मांगें हैं और इन्हें मान पाना सरकार के लिये समस्या है।’’
नई दिल्ली. दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया ने मोबाइल डेटा के लिये शुल्क बढ़ाकर न्यूनतम 35 रुपये प्रति जीबी की दर तय करने की मांग की है। यह मौजूदा दर का करीब सात-आठ गुना है। कंपनी ने इसके साथ ही एक निर्धारित मासिक शुल्क के साथ कॉल सेवाओं के लिये छह पैसे प्रति मिनट की दर तय करने की भी मांग की है।
अभी मोबाइल डेटा की दरें चार-पांच रुपये प्रति जीबी है
कंपनी ने कहा है कि उसे समायोजित सकल आय (एजीआर) बकाया का भुगतान करने में सक्षम बनाने तथा उसके कारोबार को परिचालन योग्य बनाने के लिये एक अप्रैल से ये नयी दरें लागू की जानी चाहिये। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कंपनी ने एजीआर बकाये के भुगतान के लिये 18 साल की समयसीमा की मांग की है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि उसे ब्याज व जुर्माने के भुगतान से तीन साल की छूट भी मिलनी चाहिये। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, वोडाफोन आइडिया पर करीब 53 हजार करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। कंपनी ने अब तक दूरसंचार विभाग को महज 3,500 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है।
वोडाफोन आइडिया की सरकार से मांग डेटा शुल्क 35 रूपये प्रति जीबी किया जाए
एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ‘‘वोडाफोन आइडिया ने परिचालन में बने रहने के लिये सरकार से कई मांगें की है। कंपनी चाहती है कि एक अप्रैल 2020 से मोबाइल डेटा का शुल्क न्यूनतम 35 रुपये प्रति गीगाबाइट (जीबी) तथा न्यूनतम 50 रुपये का मासिक कनेक्शन शुल्क निर्धारित हो। ये काफी कठिन मांगें हैं और इन्हें मान पाना सरकार के लिये समस्या है।’’ सूत्र के अनुसार, कॉल सेवाओं के लिये भी न्यूनतम छह पैसे प्रति मिनट की दर तय की जानी चाहिये। कंपनी ने ये मांगें ऐसे समय की है जब वह पहले ही पिछले तीन महीने के भीतर मोबाइल सेवाओं की दरें 50 प्रतिशत तक बढ़ा चुकी है।
वोडाफोन आइडिया ने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार किया
सूत्र ने कहा, ‘‘कंपनी के अनुसार, मोबाइल कॉल और डेटा की दरें बढ़ाने से उसे राजस्व का वह स्तर पाने में मदद मिलेगी जो 2015-16 में आइडिया और वोडाफोन अलग-अलग कमा पा रही थी। कंपनी ने कहा कि उसे राजस्व का वह स्तर पाने में तीन साल लगेंगे, इसी कारण उसने एजीआर जुर्माने व ब्याज के भुगतान में तीन साल की छूट की मांग की है।’’ वोडाफोन आइडिया के एक प्रवक्ता ने इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
सरकार दूरसंचार कंपनियों के राजस्व के आधार पर लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयाग शुल्क वसूलती है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(प्रतिकात्मक फोटो)