सार
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) गूगल मैप (Google MAP) की जगह भारतीय ऐप विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए उसने MapmyIndia के साथ गठजोड़ किया है।
टेक डेस्क। अक्सर लोग सड़क के रास्ते सफर करने के दौरान गूगल मैप (Google MAP) की मदद लेते हैं। यह गूगल कंपनी का रूट नेविगेशन (Route Navigation) ऐप है, जो मंजिल का सही रास्ता बताता है। इसका इस्तेमाल करके लोग रास्ता भटकने से बचते हैं। आजकल गूगल मैप का काफी इस्तेमाल किया जाने लगा है। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) रूट नेविगेशन के लिए स्वदेशी ऐप विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए उसने MapmyIndia के साथ गठजोड़ किया है। दोनों साथ मिलकर स्वदेशी मैपिंग सॉल्यूशन डेवलप करने जा रहे हैं। स्वदेशी ऐप आ जाने के बाद गूगल मैप पर लोगों की निर्भरता घटेगी।
आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत की जा रही पहल
बता दें कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत की जा रही है। जानकारी के मुताबिक, गूगल मैप की तरह का स्वदेशी ऐप विकसित करने के लिए इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने CE Info Systems Pvt Ltd के साथ MoU साइन किया है। MapmyIndia इसी कंपनी के तहत काम करती है।
कू ऐप (Koo App)
भारत सरकार की कोशिश है कि विदेशी ऐप्स पर निर्भरता कम की जाए और स्वदेशी ऐप्स को बढ़ावा दिया जाए। इसे ध्यान में रखते हुए ट्विटर (Twitter) के विकल्प के तौर पर कू ऐप (Koo App) को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस ऐप को पीएम मोदी के आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज (Aatmanirbhar App Invotaion Challenge) में जीत मिली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर आने वाले अपने लोकप्रिय कार्यक्रम 'मन की बात' में भी इस ऐप की तारीफ की थी। कई केंद्रीय मंत्रियों ने इस ऐप का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
कू ऐप की खासियत
कू ऐप (Koo App) ट्विटर की तरह ही एक माइक्रो ब्लॉगिंग साइट है। इसमें वे सारी खूबियां मौजद हैं, जो ट्विटर में हैं। यह ऐप हिंदी, अंग्रेजी सहित 8 देशी भाषाओं को सपोर्ट करता है। यूजर कू ऐप से मैसेज पोस्ट करने के साथ तस्वीरें और वीडियो भी शेयर कर सकते हैं। इसके अलावा दूसरों के पोस्ट पर कमेंट करने के साथ उसे फॉलो भी किया जा सकता है। कू ऐप में शब्दों की सीमा 350 है। इसका इंटरफेस ट्विटर जैसा ही है। कू (Koo) को ऐप और वेबसाइट, दोनों तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच टकराव बढ़ने के बाद इस ऐप को ज्यादा पॉपुलैरिटी मिल रही है।