सार
देश में 5G सर्विसेस की शुरुआत के लिए टेलिकॉम कंपनियों (Telecom Companies) को जल्द ही एक खास स्पेक्ट्रम (Dedicated Spectrum) मुहैया कराया जाएगा। रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) और अंतरिक्ष विभाग (Department of Space) ने इस सेवा की शुरुआत के लिए स्पेक्ट्रम खाली करने की सहमित दे दी है।
टेक डेस्क। देश में 5G सर्विसेस की शुरुआत के लिए टेलिकॉम कंपनियों (Telecom Companies) को जल्द ही एक खास स्पेक्ट्रम (Dedicated Spectrum) मुहैया कराया जाएगा। रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) और अंतरिक्ष विभाग (Department of Space) ने इस सेवा की शुरुआत के लिए स्पेक्ट्रम खाली करने की सहमित दे दी है। बता दें कि टेलिकॉम कंपनियों के लिए रक्षा मंत्रालय और स्पेस डिपार्टमेंट 61000 करोड़ रुपए का स्पेक्ट्रम खाली करेंगे। इस स्पेक्ट्रम की नीलामी 1 मार्च 2021 से होगी।
ट्राई ने की नीलामी की सिफारिश
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने 5G सर्विसेस के लिए 3300-3600 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड में 300 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी की सिफारिश की है। भारतीय नौसेना (Indian Navy) रडार से जुड़ी सेवाओं के लिए 100 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 3300-3600 मेगाहर्ट्ज बैंड में 25 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए दावा किया है। इससे दूरसंचार सेवाओं (Telecom Services) के लिए सिर्फ 175 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बचा रह जाएगा। इसरो (ISRO) ने 3300-3600 मेगाहर्ट्ज बैंड में 25 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खाली करने की सहमति दे दी है। इसरो ने अपनी सैटेलाइट सर्विसेस के लिए 5G संरक्षण मांगा है।
इंडियन नेवी ने भी दी सहमति
बता दें कि भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने निचले फ्रीक्वेंसी बैंड में 100 मेगाहर्ट्ज के इस्तेमाल की सहमति दी है।आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इससे दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए 300 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम उपलब्ध हो सकेगा। यह सरकार की ओर से देश में 5G सर्विसेस के लिए तय किए गए पहले सेट का स्पेक्ट्रम है। दूरसंचार ऑपरेटर निचले मूल्य पर 3300-3600 बैंड में 100 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की मांग कर रहे हैं। हालांकि, नौसेना और इसरो के दावे की वजह से दूरसंचार विभाग यह स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए उपलब्ध नहीं करा पा रहा था। अब रक्षा मंत्रालय की सहमति के बाद टेलिकॉम कंपनियों को 300 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा।