सार
सार्वजनिक क्षेत्र की खरीदारी के लिए बनाए गए ऑनलाइन पोर्टल ‘जेम’ (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) से 40,000 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद-फरोख्त की गयी है यह जानकारी सोमवार को व्यय सचिव टी. वी. सोमनाथन ने दी
नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की खरीदारी के लिए बनाए गए ऑनलाइन पोर्टल ‘जेम’ (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) से 40,000 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद-फरोख्त की गयी है। यह जानकारी सोमवार को व्यय सचिव टी. वी. सोमनाथन ने दी।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक खरीद व्यवस्था का पूरा जोर अर्थव्यवस्था, निष्पक्षता और पारदर्शिता पर है। इसलिए सार्वजनिक खरीद व्यवस्था की क्षमता सरकार के राजकोषीय अनुशासन में एक बड़ा अंतर पैदा करती है।
3.24 लाख से अधिक वेंडर्स पंजीकृत
सोमनाथन ने कहा कि इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने हाल ही में साधारण वित्तीय नियमों (जीएफआर) और खरीद नियमावली को संशोधित किया है और सार्वजनिक खरीद के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया है। वाणिज्य मंत्रालय ने अगस्त 2016 में जेम को शुरू किया था। इसका मकसद सरकारी विभागों/मंत्रालयों की खरीद के लिए एक खुली और पारदर्शी व्यवस्था बनाना है। अभी इस मंच पर 3.24 लाख से अधिक वेंडर्स पंजीकृत हैं।
निविदाओं को मिलाकर एक लाख टेंडर
सोमनाथन यहां वैश्विक खरीद शिखर सम्मेलन 2020 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे पास जेम है, एक केंद्रीय खरीद पोर्टल। राज्य सरकारों की निविदाओं को मिलाकर इस पर वर्तमान में एक लाख टेंडर हैं। इसके अलावा हमारे पास केंद्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल (सीपीपीपी) पर सालाना 18 से 19 लाख करोड़ रुपये की निविदाओं की व्यवस्था है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘2016 में सरकार ने जेम को शुरू किया। इस पर अब तक 40,000 करोड़ रुपये से अधिक की खरीद-फरोख्त की जा चुकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में भी कहा था कि सरकार की योजना जेम पोर्टल का कारोबार बढ़ाकर तीन लाख करोड़ रुपये तक करने की है।
सीपीपीपी वर्ष 2012 से परिचालन में है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)