सार
इन दिनों SOVA वायरस लोगों को टारगेट कर रहा है। इसे लेकर हाल ही में SBI ने अलर्ट जारी किया है। इस वायरस की वजह से लोगों की बैंकिंग डिटेल्स चोरी हो जाती है और इसका इस्तेमाल यूजर्स को स्कैम करने के लिए भी किया जाता है। जानिए इससे कैसे बचें...
टेक न्यूज. (SOVA virus alert): एडवांस टेक्नोलॉजी के इस जमाने में कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। कहीं कुछ लोग टेक्नोलॉली का सही इस्तेमाल कर रहे हैं तो बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग हैं तो इसके गलत इस्तेमाल से दूसरों को लूट रहे हैं। अब मार्केट में एक नए वायरस ने बवाल मचा रखा है जिसका नाम है सोवा (SOVA) वायरस। कई शातिर लोग इस वायरस के इस्तेमाल से बैंक डिटेल्स चोरी कर रहे हैं। इसका प्रयोग यूजर्स को स्कैम करने के लिए भी किया जाता है। इसके लिए सोशल मीडिया पर मैसेज भेजा रहा है, जिसमें लिंक शेयर करके यूजर्स के साथ फ्रॉड किया जा रहा है। इस संबंध में देश के नामी बैंक एसबीआई (SBI) ने तक अलर्ट जारी किया है और सोवा वायरस से अलर्ट रहने की अपील की है। इस खबर में जानिए इस वायरस के बारे में...
क्या है सोवा वायरस
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने बताया कि सोवा वायरस (SOVA Virus) एक एंड्रॉयड बैंकिंग ट्रोजन मालवेयर है, जो बैंकिंग ऐप्स को ही टारगेट करता है। इस मालवेयर के जरिए आपके पर्सनल बैंकिंग इंफॉर्मेशन को चुराया जाता है। अगर आपके सिस्टम में यह मालवेयर आ गया, तो आप जब अपने बैंकिंग ऐप में लॉग इन करेंगे तो यह आपके क्रेडेंशियल चुरा लेता है। इसकी सहायता से यह बड़ी आसानी से आपके नेट बैंकिंग ऐप में घुस कर आपका अकाउंट साफ कर सकता है।
क्या हैं SOVA वायरस के खतरे
- नेट बैंकिंग ऐप की जानकारी प्राप्त करना और बैंक खातों को एक्सेस करना।
- कुकीज चुराना।
- टू-फैक्टर वेरिफिकेशन कोड को रोकना।
- कीस्ट्रोक की जानकारी कैप्चर करना।
- स्क्रीनशॉट लेना।
- वीडियो रिकॉर्ड करना।
- स्क्रीन क्लिक, स्वाइप आदि जैसे संकेतों का निष्पादन करना।
- यह सब फाइनेंस फ्रॉड का कारण बन सकता है।
कैसे होगा बचाव
- किसी अनजान या फर्जी लिंक से ऐप को इंस्टॉल न करें।
- कोई भी ऐप को इंस्टॉल करते समय Google Play Store का ही इस्तेमाल करें।
- एक भरोसेमंद एंटी वायरस का इस्तेमाल करें।
- ऐप को इंस्टॉल करते समय सिर्फ जरूरी चीजों के लिए ही परमिशन दें।
- किसी भी अनजान वेबसाइट पर क्लिक न करें।
200 से ज्यादा बैंकिंग और क्रिप्टो ऐप्स बन चुके हैं टारगेट
SOVA वायरस यूजर के फोन में इंस्टॉल हो जाता है और फिर ये यूजर की डिटेल्स चोरी करने लगता है। इसको अनइंस्टॉल करना भी काफी मुश्किल हो जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वायरस ने 200 से ज्यादा मोबाइल बैंकिंग और क्रिप्टो ऐप्स को टारगेट किया है। इस मैलवेयर के बारे में सबसे पहले सितंबर 2021 में पता चला था।
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