9 जनवरी 2024 का दिन बहुत ही खास है क्योंकि इस दिन भगवान शिव से संबंधित 2 व्रत एक दिन किए जाएंगे। ये व्रत हैं मंगल प्रदोष और मासिक शिवरात्रि। जानें इन दोनों व्रतों की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त…
Mangal Pradosh 2023: धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रतों का वर्णन मिलता है। प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत हर महीने को दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। ये व्रत कई शुभ योग बनाता है।
Mangala Gauri Vrat 2023: सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस बार सावन का अधिक मास होने से मंगला गौरी व्रत की संख्या दोगुनी हो गई है। 8 अगस्त को इस बार का छठा मंगला गौरी व्रत किया जाएगा।
Mangala Gauri Vrat 2023: 1 अगस्त, मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाएगा। ये इस बार का पाचंवा मंगला गौरी व्रत रहेगा। इस दिन कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी ज्यादा हो गया है। इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
Mangala Gauri Vrat 2023: 18 जुलाई, मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाएगा। ये इस बार का तीसरा मंगला गौरी व्रत रहेगा। इस दिन कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी ज्यादा हो गया है। इसी दिन से सावन का अधिक मास शुरू होगा।
Bada Mangal 2023: इस बार ज्येष्ठ मास का पहला बड़ा मंगल 9 मई को है। इसे बुढ़वा मंगल भी कहते हैं। इस दिन हनुमानजी की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। इस पर्व को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं।
हिंदू धर्म में श्रावण (Shravan 2022) मास जिसे सावन भी कहते हैं का विशेष महत्व है। ये पूरा महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए प्रसिद्ध है। इस बार श्रावण मास का आरंभ 14 जुलाई से हो रहा है, जो 11 अगस्त तक रहेगा।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास में आने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल (Bada Mangal) कहा जाता है। इस दिन हनुमानजी की विशेष पूजा की जाती है और मंदिरों में विशेष आयोजन भी किए जाते हैं।
हिंदू धर्म में ग्रहों को भी देवताओं का रूप में पूजा जाता है क्योंकि इनका प्रभाव हमारे दैनिक जीवन पर भी पड़ता है। ग्रहों से संबंधित कई मंदिर हमारे देश में हैं। ऐसा ही एक विशेष मंदिर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन (Ujjain) में है, जो मंगल ग्रह से संबंधित है। इसे मंगलनाथ मंदिर (Mangalnath Temple Ujjain) कहा जाता है।
हमारे धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत बताए गए हैं। प्रदोष व्रत भी उनमें से एक है। ये व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। ये व्रत विभिन्न वारों के साथ मिलकर शुभ योग बनाता है।