सार
महाराष्ट्र में म्यूकोर्मिकोसिस से 90 लोगों की मौत हो चुकी है। यह एक घातक फंगल संक्रमण है। वहीं राजस्थान में ब्लैक फंगस संक्रमण के 100 से ज्यादा केस हैं। राजस्थान सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है। इसके इलाज के लिए एक अलग वार्ड भी बनाया गया है।
नई दिल्ली. देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस का डर फैलता जा रहा है। एम्स ने ब्लैक फंगस के लक्षण और इसके उपचार के लिए गाइडलाइन जारी की है। एम्स कोविड वार्ड ने यह भी कहा है कि डायबिटीज, ज्यादा स्टेरॉयड लेने वाले को ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरा है।
महाराष्ट्र में म्यूकोर्मिकोसिस से 90 मरीजों की मौत
महाराष्ट्र में म्यूकोर्मिकोसिस से 90 लोगों की मौत हो चुकी है। यह एक घातक फंगल संक्रमण है। वहीं राजस्थान में ब्लैक फंगस संक्रमण के 100 से ज्यादा केस हैं। राजस्थान सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है। इसके इलाज के लिए एक अलग वार्ड भी बनाया गया है।
किसे सबसे ज्यादा खतरा?
1. एम्स ने कहा है कि जिनका डायबिटीज कंट्रोल न हो, डायबिटिक केटोएसिडोसिस, ज्यादा स्टेरॉयड लेने वाले रोगियों को ज्यादा खतरा है।
2. इम्यूनोसप्रेसेन्ट या कैंसर का इलाज करा रहे रोगियों को ब्लैग फंगस से ज्यादा खतरा है।
3 ज्यादा स्टेरॉयड लेने वाले मरीजों को भी ज्यादा खतरा है।
4. कोरोना के गंभीर रोगी, जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
एम्स ने डॉक्टरों और विशेष रूप से आंखों के एक्सपर्ट्स को सलाह दी है कि वे ब्लैक फंगस संक्रमण को जोखिम वाले रोगियों को डिस्चार्ज के बाद भी नियमित जांच करते रहें।
ब्लैग फंगस का पता कैसे चलेगा?
कोविड से ठीक हुए मरीजों और उनके संपर्क में आए लोगों को ब्लैग फंगस के लक्षणों का विशेष ध्यान देना चाहिए।
1. नाक से ब्लैक डिस्चार्ज, पपड़ी या खून निकलना।
2. नाक बंद होना, सिरदर्द या आंखों में दर्द, आंखों के चारों ओर सूजन, आंखों का लाल होना, कम दिखना, आंख बंद करने में दिक्कत होना, आंख खोलने में परेशानी होना।
3.. चेहरे का सुन्न होना या झुनझुनी-सनसनी जैसा लगना।
4. मुंह चबाने या खोलने में दिक्कत होना।
5. रोज खुद से जांच- चेहरे की सूजन (विशेषकर नाक, गाल, आंख के आसपास)
6. दांतों का ढीला होना। मुंह, तालू, दांत या नाक के अंदर सूजन
लक्षण दिखने पर क्या करें?
एम्स ने ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने पर दिशा-निर्देश जारी किए।
1. तुरन्त किसी ईएनटी डॉक्टर, आंखों के डॉक्टर से परामर्श लें।
2. नियमित उपचार करें। डायबिटीज के रोगियों को सुगर कंट्रोल रखने की कोशिश करना चाहिए।
3. नियमित दवाएं करना और दूसरे बीमारियों का इलाज लगातार करना चाहिए।
4. स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक्स या एंटिफंगल दवाओं के साथ कोई दवा नहीं लेना चाहिए।
5. एमआरआई या सीटी स्कैन कंट्रास्ट के साथ कराएं। अगर जरूरी हो तो डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।
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