सार
ATV के मुताबिक जम्मू और कश्मीर में G-20 कार्यक्रम आयोजित करके, भारत दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि कैसे आतंक से ग्रस्त एक अशांत क्षेत्र बेहद सामान्य स्थिति में वापस आ चुका है।
ट्रेंडिंग डेस्क. भारत की G20 अध्यक्षता अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है और जब इसका शिखर सम्मेलन जम्मू-कश्मीर में होगा तो ये एक नया इतिहास बन जाएगा। दरअसल, ये पहला मौका होगा जब जम्मू-कश्मीर में कोई अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित होगा। पूरी दुनिया की निगाहें इस दौरान जम्मू-कश्मीर पर होंगी।
खुलेंगे विकास के नए द्वार
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के तहत राज्य की विशेष स्थिति के निरस्त होने के बाद बाहरी लोगों के व्यापार और निवेश के द्वार खोले जा रहे हैं। यहां इन्वेस्टमेंट के जरिए नए उद्योग व उससे नई संभावनाएं भी जन्म लेंगी। जिससे व्यापार के साथ-साथ रोजगार व विकास के नए द्वार खुलेंगे।
पूरी दुनिया को ये संदेश देगा भारत
जम्मू और कश्मीर में G-20 कार्यक्रम आयोजित करके, भारत दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि कैसे आतंक से ग्रस्त एक अशांत क्षेत्र बेहद सामान्य स्थिति में वापस आ चुका है। इतना ही नहीं अब इसे व्यवसायों के लिए भी तैयार किया जा रहा है। यदि यह कदम सफल होता है तो पाकिस्तान समेत नापाक मंसूबे वाले देशों का एजेंडा सामने लाने के साथ-साथ यह बात भी साबित होगी कि भारत में केंद्रशासित प्रदेश के लोग शांति, विकास और समृद्धि में विश्वास करते हैं।
भारत का दावोस कहलाएगा जम्मू-कश्मीर
G-20 जैसे बड़े अवसर को देखते हुए, जम्मू-कश्मीर निश्चित रूप से टूरिज्म, बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, एडवेंचर स्पोर्ट्स, कृषि और यहां तक कि स्वास्थ्य क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करने में सक्षम होगा। ऐसे में संभावना है कि यह आयोजन घाटी के कई हिस्सों में हो रहा है। यदि यह आयोजन सफल होता है तो ये भारत का दावोस कहलाएगा। बता दें कि दावोस स्विट्जरलैंड के पूर्वी आल्प्स क्षेत्र में एक हिल स्टेशन है जहां विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) अपनी वार्षिक बैठक आयोजित करता है। सोर्स : आवाज द वॉइस