सार

2015 में नेपाल में आया ये भूकंप सबसे बड़ी त्रासदी बनकर आया था, इस भूकंप ने नेपाल के अधिकांश शहर तबाह कर दिए थे।

ट्रेंडिंग डेस्क. पड़ोसी देश नेपाल में मंगलवार-बुधवार की रात आए 6.3 की तीव्रता के भूकंप ने 6 लोगों की जान ले ली। सेंसिटिव जोन होने की वजह से यहां बड़े-छोटे भूकंप आते ही रहते हैं। हालांकि, 2015 में यहां ऐसा विनाशकारी भूकंप आया था जिसने 8 हजार 857 लोगों की जान ले ली थी। जानें नेपाल के इतिहास के सबसे भयानक भूकंप के बारे में और देखें उससे जुड़ी 10 फोटोज...

अपनों को पलभर में खोने का दर्द लोग कभी नहीं भूल पाते।

 

ऐसा भूकंप, जैसे प्रलय आया हो

बात अप्रैल 2015 की है। स्थानीय समय अनुसार सुबह 11:56 पर धरती दहल उठी। लोगों को लगा कि कोई जोरदार धमाका हुआ है, लोग जबतक खुदको संभाल पाते या समझ पाते कि क्या हुआ है, भूकंप ने सबकुछ तबाह कर दिया। मकान, दुकान, सड़कें सबकुछ मिट्टी में मिल गया था।

भूकंप ने काठमांडू को बुरी तरह से तबाह कर दिया था।

 

भूकंप की तीव्रता 7.8 से 8.1 मेग्नीट्यूड की थी। सड़कें फटकर खाई बन गई थीं, मकान व इमारतें ध्वस्थ हो गए थे। ऐसा लग रहा था मानो प्रलय आया हो। हर ओर चीख-पुकार और धूल का गुबार था।

हर ओर मलबे से लाशें बाहर निकल रही थीं।

 

काठमांडू समेत कई शहर हुए थे तबाह

नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया कि भूकंप का केंद्र नेपाल से 38 किमी दूर लामजुंग में 15 किलोमीटर की गहराई में था। 1934 के नेपाल-बिहार भूकंप के बाद पहली बार नेपाल में इतनी ज्यादा तीव्रता का भूकंप आया था। इसने नेपाल के काठमांडू समेत कई शहरों को तबाह कर दिया था। इसमें 8 हजार से ज्यादा लोगाें की जान चली गई थी व हजारों लोग घायल हुए थे। इसने नेपाल की कई ऐतहिासिक इमारतों व प्राचीन मंदिरों को भी ध्वस्त कर दिया था।

जो बच गए थे, वो खुशी भी क्या मनाते...हर किसी ने किसी अपने को खोया था।

 

इस श्रेणी का था ये भूकंप

2015 में जिस श्रेणी का भूकंप नेपाल में आया था, उसे मर्साली इंटेन्सिटी (Mercalli Intensity) में श्रेणी 10 का भूकंप कहा गया है। इसे श्रेणी के भूकंप को महाविनाशकारी भूकंप कहा जाता है। इसकी तीव्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नेपाल में आए इस भूकंप के झटके भारत, चीन और बांग्लादेश तक में महसूस किए गए थे। पड़ोसी राज्य में आए भूकंप से इन देशों के कई राज्यों में नुकसान हुआ था, जो नेपाल के करीब थे। भूकंप की वजह से एवरेस्ट पर्वत पर हिमस्खलन हो गया था, जिससे वहां 17 पर्वतारोही काल के गाल में समा गए।

भारत समेत कई देशों ने नेपाल की मदद के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट फोर्स व सेना को भेजा था।

 

लगातार बढ़ती गई तीव्रता

इस भूकंप की वजह से कई और टेक्टोनिक प्लेट्स टूटीं, जिससे भूकंप को और बल मिल गया था। सबसे पहले अमेरिका के भूसर्वेक्षण केंद्र से इसे 7.5 की तीव्रता का भूकंप बताया गया, पर कुछ ही देर में इसकी तीव्रता 7.8 बताई गई। कहा गया कि झटके 50 सेकंड तक लगे, वहीं भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि ये एक नहीं दो भूकंप थे, पहली की तीव्रता 7.8 थी और उसके बाद 6.6 का एक और भूकंप दर्ज किया गया था। कई दिनों तक चले राहत व बचाव कार्य के बाद जनहानि व धनहानि का आकलन किया गया, जिससे उबरने में नेपाल को काफी वक्त लग गया।

हर पल मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा था।
घायलों की तादाद मरने वालों से कई गुना ज्यादा दी। राहत शिविरों में जगह तक कम पड़ने लगी थी।
हर ओर चीख-पुकार और रोने की आवाजें दिल दहला देने वाली थीं।
टूटे मकान, ध्वस्त हुईं इमारतों के मलबे में हर कोई किसी न किसी को खोज रहा था।
पशुपतिनाथ मंदिर से लगे घाट पर हिंदू धर्म मानने वालों का अंतिम संस्कार हो रहा था, यहां भी एक के बाद एक अंतिम संस्कार हो रहे थे।

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