सार
आज 26 जनवरी को 74वें गणतंत्र दिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं इससे जुड़े ऐसे 26 रोचक तथ्य जो आपको जानना बेहद जरूरी हैं।
ट्रेंडिंग डेस्क. दो वर्षों बाद कोविड काल की पाबंदियां हटने से पूरे देश में गणतंत्र दिवस को लेकर बड़े आयोजन हो रहे हैं। आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस की मुख्य परेड में शामिल होने वाले जवान कई महीनों तक घंटों अभ्यास करते हैं। प्रत्येक सैनिक लगभग 600 घंटे का अभ्यास करता है। आज 26 जनवरी को 74वें गणतंत्र दिवस पर हम आपको बताने जा रहे हैं इससे जुड़े ऐसे ही 26 रोचक तथ्य जो आपको जानना बेहद जरूरी हैं।
- गणतंत्र दिवस के दिन से ही भारतीय वायु सेना अस्तित्व में आई थी। इससे पहले एयरफोर्स को 'रॉयल इंडियन एयर फोर्स' के नाम से जाना जाता था।
- गणतंत्र के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो गण का अर्थ है 'जनता' और तंत्र का अर्थ है ‘जनता के लिए’।
- 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत 1950 में आजाद भारत का संविधान लागू होने के साथ हुई थी।
- वर्ष 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ पर न होकर, चार अलग-अलग जगहों पर हुई थीं। 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन इरविन स्टेडियम (नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में हुआ था।
- गणतंत्र दिवस के प्रमुख समारोह की शुरुआत राष्ट्रपति के काफिले के आगमन के साथ होती है। इस दौरान राष्ट्रपति अपने विशेष वाहन से से आते हैं।
- राष्ट्रपति के आसपास किसी राजा की तरह विशेष अंगरक्षक व घुड़सावार चलते हैं। राष्ट्रपति द्वारा ध्वाजारोहण के समय उनके विशेष अंगरक्षक और कार्यक्रम में मौजूद सभी लोग सावधान की मुद्रा में खड़े होकर तिरंगे को सलामी देते हैं। इसके बाद राष्ट्रगान की शुरुआत होती है।
- 1955 से गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन राजपथ पर शुरू किया गया। उस दौर में राजपथ को ‘किंग्सवे’ के नाम से जाना जाता था। तभी से राजपथ (अब कर्तव्य पथ) ही इस आयोजन की स्थाई जगह बन चुका है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 सितंबर, 2022 को अंग्रेजी नाम किंग्स वे से बदलकर कर्तव्य पथ (Kartavya Path) कर इसका उद्घाटन किया।
- इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (Central Vista Avenue) कहते हैं, इसी रास्ते को राजपथ (Rajpath) कहा जाता था, जो अब कर्तव्य पथ बन चुका है।
- कर्तव्य पथ की कुल लंबाई तीन किमी से ज्यादा है। गणतंत्र दिवस के मुख्य कार्यक्रम में हर साल भारत किसी न किसी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित करता है।
- 26 जनवरी 1955 में राजपथ पर आयोजित पहले गणतंत्र दिवस समारोह में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
- 26 जनवरी की परेड के पूर्वाभ्यास के लिए हर ग्रुप 12 किलोमीटर की दूरी तय करता है, लेकिन 26 जनवरी के दिन केवल 9 किलोमीटर की दूरी तय करता है।
- परेड के आयोजन में भाग लेने वाले हर जवान को 4 लेवल की जांच से गुजरना होता है। हर जवान कुल 600 घंटे का अभ्यास करता है।
- परेड में शामिल झांकियां लगभग 5 किमी/घंटा की गति से चलती हैं, ताकि सभी लोग उन्हें अच्छी तरह से देख सकें।
- भारतीय संविधान किसी भी प्रजातांत्रिक देश की तुलना में दुनिया का सबसे लंबा संविधान वाला देश है।
- भारत के संविधान में एक प्रस्तावना, 22 भाग, 448 लेख, 12 अनुसूचियां, 5 परिशिष्ट और 115 संशोधन अपने वर्तमान स्वरूप में हैं।
- भारतीय संविधान में कई प्रावधान दूसरे देशों के संविधान से लिए गए हैं। यही वजह है कि इसे अंग्रेजी में 'Bag of Borrowings' यानी उधार का बैग भी कहा जाता है।
- प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने मूल भारतीय संविधान को इटैलिक शैली में अपने हाथों से लिखा था। उन्होंने ये कार्य करने में छह महीने लिए थे पर इसकी कोई फीस नहीं ली थी। उन्होंने फीस के बदले संविधान के हर पन्ने पर अपना नाम और आखिरी पन्ने पर अपने दादा का नाम लिखने की इजाजत मांगी थी।
- भारतीय संविधान के लागू होने के बाद, भारतीय महिलाओं को पहली बार वोटिंग का अधिकार प्राप्त हुआ था। इससे पहले, उन्हें इस अधिकार से वंचित कर दिया गया था, और केवल पुरुष ही वोट डल सकते थे।
- संविधान की मूल प्रतियां संसदीय पुस्तकालय में रखी जाती हैं। इन्हें सुरक्षित रखने के लिए हीलियम से भरे एक बॉक्स में रखा जाता है और नेफ़थलीन गेंदों के साथ फलालैन के कपड़े में लपेटकर सुरक्षित रखा जाता है।
- भारतीय संविधान को बनाने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का वक्त लगा था।
- राष्ट्रगान को नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत की मूल बंगाली रचना का नाम 'भारतो भाग्य बिधाता' रखा था।
- राष्ट्रगान में पांच छंद हैं इसे सार्वजनिक रूप से पहली बार 27 दिसंबर 1911 में टैगोर ने खुद कोलकाता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था।
- 11 सितंबर 1942 को जर्मन-इंडियन सोसाइटी की बैठक के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार इसे 'राष्ट्रगान' के रूप में संदर्भित किया, लेकिन 1950 में इसे औपचारिक रूप से राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया।
- 14 अगस्त 1947 की रात जब देश आजाद हुआ तब संविधान सभा की पहली बैठक का समापन भी राष्ट्रगान के साथ हुआ था।
- 24 जनवरी 1950 को भारत के संविधान पर हस्ताक्षर करने के लिए बैठक बुलाई गई थी, जिसमें भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने आधिकारिक रूप से 'जन गण मन' को राष्ट्रगान और 'वंदे मातरम' को राष्ट्रगीत घोषित किया था।
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